गौरतलब है कि सुप्रिया इस लोकसभा चुनाव में महाराजगंज से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ीं थीं लेकिन उन्हें भाजपा के पंकज चौधरी से हार का सामना करना पड़ा था। बात करें उनके पिता हर्षवर्धन की तो इसी सीट से वो दो बार सांसद रह चुके हैं। बतादें कि 2014 में पहले सुप्रिया की मां की मौत हुई और 2015 में सुप्रिया के भाई और सियासी वारिस राज्यवर्द्धन सिंह की मौत हो गई। परिवार इस बड़े संकट से उबर पाता कि 2016 में खुद हर्षवर्धन सिंह की मौत हो गई। पिछले तीन साल में परिवार के तीन लोगों की मौत हुई जिसके बाद हर्षवर्द्धन सिंह की सियासी विरासत को अब सुप्रिया ने आगे बढ़ाने का फैसला लिया है। अब पार्टी ने उन्हे बड़ी जिम्मेदारी दिया है।
पूर्वांचल पर प्रियंका की खास नजर बतादें कि 2019 चुनाव से पहले प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी की कमान सौंपी गई थी। इसके बाद से ही वो कांग्रेस के उन नेताओं को पहचान कर रही हैं जो जिम्मेदारी से संगठन के काम में लगे हैं। इसके पहले प्रियंका कुशीनगर के तमकुहीराज से कांग्रेस के विधायक अजय कुमार लल्लू को भी संगठन को मजबूत करने की जिम्मेदारी दी है। अब सुप्रिया के राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाये जाने के बाद पूर्वांचल के मुद्दे को बड़े स्तर पर उठाने के लिए कांग्रेस प्लान बना रही है।