एक निर्भया को तो मिल गया न्याय, 189 को है अब भी इंतजार

– #patrikaNirbhaya
– 189 बलात्कार पीड़िताओं को अब भी न्याय का इंतजार
– सीएम योगी ने विधानसभा में दी जानकारी
– जनवरी 2015 से अक्टूबर 2019 तक 9703 नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार
– 988 लड़कियों को बलात्कार के बाद जान से मार दिया गया

<p>एक निर्भया को तो मिल गया न्याय, 189 को है अब भी इंतजार</p>
पत्रिका इंडेप्थ स्टोरी
लखनऊ. #patrikaNirbhaya निर्भया कांड के चार आरोपियों को फांसी दे दी गई। इससे निर्भया के साथ ही उसके परिवारवालों को न्याय मिल गया, लेकिन उत्तर प्रदेश में अब भी 189 ऐसी बलात्कार की पीड़िता हैं जिन्हें आज भी न्याय की दरकार है। प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में इनके मामले अब भी लंबित हैं। इनमें कुछ माह पहले उन्नाव में जलाकर मार डाली गई यूपी से जुड़ा मामला भी शामिल है। सूबे में बलात्कार के 189 मामले जब लंबित हैं जब सरकार ने इन मामलों के निपटारे के लिए 218 से अधिक फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाने की घोषणा की थी। ताकि बच्चों और महिलाओं के प्रति हो रहे अपराधों की त्वरित सुनवाई हो सके।
उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिला न्यायालयों और हाईकोर्ट में सिर्फ और सिर्फ बलात्कार से जुड़े 189 मामले अब भी लंबित हैं। यह जानकारी खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 दिसंबर को विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी थी। उत्तर प्रदेश में लंबित इन मामलों को निपटारे के लिए राज्य सरकार ने 218 फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित किये जाने की भी घोषणा की थी। इन 189 मामलों के अलावा तमाम ऐसे भी मामले हैं तो दर्ज ही नहीं होते हैं। 1 जनवरी 2015 से 30 अक्टूबर 2019 तक 9703 नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार के मामले दर्ज किये गए। इनमें से 988 लड़कियों को बलात्कार के बाद जान से मार दिया गया।
उत्तर प्रदेश की यह खौफनाक स्थिति है बावजूद इसके यहां हर सरकार में बलात्कार के मामले बढ़ते ही गए। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि यहां पुलिस, नेता और नौकरशाह बलात्कार के मामलों को सम्मान से जोड़कर देखते हैं। वह इसे हिंसा के रूप में नहीं लेते हैं। इसलिए सहमति से और अंतरजातीय या अंतरधार्मिक संबंधों को बलात्कार का रूप दे दिया जाता है। इसके परिणाम स्वरूप सम्मान के लिए हत्या जैसे अपराध होते हैं। अगर इस तथ्य पर भी गौर करें तब भी अब तक जो दर्ज मामले हैं वह न केवल चौंकाने वाले हैं बल्कि गंभीर स्थिति की तरफ इशारा करते हैं।
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