मूर्तियों के माध्यम से सिलचर के मूर्तिकार रंजीत मंडल राम कथा कुंज के लिए कर रहे हैं मूर्तियों का निर्माण

अयोध्या में असम के कलाकार रंजीत मंडल राम मंदिर के प्रांगण में लगाने के लिए बना रहे हैं भगवान के राम के बचपन से लेकर राज्यभिषेक तक की यात्रा से जुड़ी मूर्तियां।

<p>मूर्तियों के माध्यम से सिलचर के मूर्तिकार रंजीत मंडल राम कथा कुंज के लिए कर रहे हैं मूर्तियों का निर्माण</p>
लखनऊ. भगवन राम की नगरी अयोध्या में उनके बचपन से राज्‍याभिषेक तक का सफर दिखाया जाएगा जिसे असम के सिलचर के रहने वाले रंजीत मंडल बना रहे हैं और इन्हे विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल रंजीत मंडल अयोध्या लेकर आये थे| आइये जानते हैं इनके बारे में-
कौन हैं रंजीत मंडल?
असम के रहने वाले रंजीत मंडल ने फाइन आर्ट्स में एमए किया है। वह अब विजुअल आर्ट्स में डॉक्टरेट करना चाहता है।1997 में रंजीत की मुलाकात विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) के अध्यक्ष अशोक सिंघल से असम में हुई। सिंघल ने रंजीत द्वारा बनाई गयी वेद व्यास जी की मूर्ति से प्रभावित होकर 1988 में अयोध्या में रामकथा कुंज के लिए मूर्तियां बनाने के लिए अयोध्या बुला लिया| विहिप और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा आयोजित विभिन्न समारोहों के लिए सभी प्रकार की मूर्तियां बनाने के कई वर्षों के बाद, 2006 में मंडल को उनकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी दी गई- राम कथा कुंज के लिए मूर्तियों को तैयार करना। मंडल अपने पिता नारायण चंद्र के साथ 2013 से इन मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं।
कैसे पूरा भारत मूर्तियों से जुड़ेगा?
पूरे भारत से आये लोग इन मूर्तियों से जुड़ाव महसूस कर सके, इसके लिए रंजीत ने पहनावे में बंगाल की झलक, फेस कटिंग में उत्तर भारत के लोगों जैसी मूर्तियां बनाई हैं ताकि देशभर से आये लोग जुड़ाव महसूस कर सकें|
कैसे बनती हैं मूर्तियां?
प्रत्येक मूर्ति के लिए फ्रेम बनाने के लिए स्टील के तार और जाली का उपयोग किया जाता है और फिर उसमें मजबूत सीमेंट में डाला जाता है। सिंघल के निर्देशानुसार कहीं भी सांचे का प्रयोग नहीं किया जाता है।
कैसे मिली मूर्तियां बनाने की प्रेरणा?
मूर्तियों को बनाने की प्रेरणा रंजीत को बचपन में रामलीला देखने, वाल्मीकि रामायण के उनके पढ़ने और सिंघल द्वारा दी गई पुस्तक से मिली।

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प्रदर्शनी के रूप में पहले भी रंजीत कर चुके हैं मूर्तियों को चित्रित
एक प्रयोग के रूप में, रंजीत ने हनुमान की एक मूर्ति को चित्रित किया है जो कार्यशाला के प्रवेश द्वार पर खड़ी है। वह स्थान हनुमान की स्थिति का प्रतीक है जो सभी राम भक्तों में सबसे अधिक भक्त और उनके लिए शाश्वत संरक्षक है। एक सेट जिसमे एक यज्ञ को और दूसरा जिसमे चार भाइयों के जन्म को भी चित्रित किया गया है।
लॉकडाउन के दौरान क्या किया?
लॉकडाउन के दौरान भले ही सामग्री की खरीद एक चुनौती बन गई हो लेकिन मंडल ने सिंघल की एक मूर्ति पर काम करना शुरू कर दिया, जिसे वह अपना गुरु मानते हैं। रंजीत ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि यह प्रदर्शित किया जाएगा या नहीं, लेकिन मैं उस व्यक्ति का सम्मान करना चाहता था जिसने मेरे लिए इसे संभव बनाया’|
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी प्रभावित हैं रंजीत की शिल्पकारियों से
मंडल के चित्रकारी की एक यात्रा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की है। वह चाहते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उपहार देने के लिए नए मंदिर का एक मॉडल बनाने के लिए कमीशन दिया जाए।
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