लखनऊ. अनलॉक-1 की व्यवस्था खुलते ही जिंदगी फिर से पटरी पर लौटने लगी है। लुधियाना, सूरत, अहमदाबाद, पुणे जैसे शहरों में फैक्ट्रियों के गेट खुल गए हैं। उनके विशालकाय दरवाजों पर आवश्यकता है की तख्तियां लटक रही हैं। लेकिन, यहां काम मांगने वाले नदारद हैं। उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के बाहर कमाने गए कामगारों, श्रमिकों और दिहाड़ी मजदूरों को समृद्धि के इतने सुखद सपने दिखा दिए हैं कि उनके पांव अब अपने गांवों में ही थम गए हैं। अपने ही जिले में काम मिलने से उनके चेहरे खिल उठे हैं। इसलिए वे अब उस परदेश को नहीं जाना चाहते, जिसके साथ उनकी जिंदगी के अनेक दु:स्वप्न जुड़ गए हैं।
संभावनाओं का अनंत आकाश:- यूपी के बाहर से अब तक करीब 25 लाख श्रमिक अपने वतन लौट चुके हैं। परदेश में सबसे ज्यादा दुश्वारियां गोंडा, बस्ती, गोरखपुर, सुलतानपुर, आजमगढ़, जौनपुर, प्रतापगढ़, प्रयागराज और वाराणसी के श्रमिकों ने झेली हैं। कुछ पैदल लौटे, कुछ अपने साधन से। कुछ को सरकार ने ट्रेन से ढोया। दुश्वारियों के बाद अपने गांव लौटे इन श्रमिकों को लगता है यूपी में संभावनाओं का अनंत आकाश खुल गया है। योगी सरकार की घोषणाओं के पूरा होने का उसे इंतजार है। इसलिए अभी वह कमाने के लिए फिर से बाहर जाने को तैयार नहीं। यूपी सरकार का दावा है कि वह ग्रामीण और शहरी इलाकों के 1.65 करोड़ परिवारों को मुफ्त राशन बांट रही है। हर शहरी मजदूर को जिसकी रोजी-रोटी का जरिया छिन गया है, उन्हें 1000 रुपए महीना की आर्थिक मदद दी जा रही है। इस हिसाब से कुल 353 करोड़ रुपए सिर्फ शहरी मजदूरों को ही बांटा जा चुका है।
प्रदेश के राहत आयुक्त संजय गोयल बताते हैं-27.2 लाख मजदूरों के बैंक खाते में डीबीटी के जरिए 611 करोड़ लॉकडाउन अवधि में जमा किए गए हैं। यही नहीं 14 लाख 73 हजार 595 मजदूरों को मनरेगा में काम मिला है। वे अपने ही जिले और गांव में काम कर रहे हैं। 25 हजार ऐसे श्रमिकों का जॉब कार्ड भी बना है जो अन्य प्रदेशों में काम कर रहे थे, लेकिन अब यूपी लौट आए हैं। गोयल की मानें तो आने वाले दिनों में यूपी सरकार सिर्फ मजदूरी पर ही रोजाना 40 करोड़ खर्च करने जा रही है।
प्रदेश के राहत आयुक्त संजय गोयल बताते हैं-27.2 लाख मजदूरों के बैंक खाते में डीबीटी के जरिए 611 करोड़ लॉकडाउन अवधि में जमा किए गए हैं। यही नहीं 14 लाख 73 हजार 595 मजदूरों को मनरेगा में काम मिला है। वे अपने ही जिले और गांव में काम कर रहे हैं। 25 हजार ऐसे श्रमिकों का जॉब कार्ड भी बना है जो अन्य प्रदेशों में काम कर रहे थे, लेकिन अब यूपी लौट आए हैं। गोयल की मानें तो आने वाले दिनों में यूपी सरकार सिर्फ मजदूरी पर ही रोजाना 40 करोड़ खर्च करने जा रही है।
श्रमिक यूपी की पूंजी और ताकत:- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नया नारा दिया है। उनका कहना है श्रमिक हमारी पूंजी और ताकत हैं। इनके साथ मिलकर यूपी का निर्माण किया जाएगा। देश-प्रदेश के कई औद्योगिक संगठनों के साथ बैठकें की जा रही हैं। दूसरे राज्यों से लौटे श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने के लिए समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं। श्रमिकों और कामगारों को उनकी दक्षता के अनुसार स्थानीय स्तर पर रोजगार देने के लिए स्किल डिवेलपमेंट व राजस्व विभाग हर श्रमिक की स्किल मैपिंग करवा चुका है। करीब 18 लाख प्रवासी श्रमिकों की स्किल मैपिंग हो चुकी है। इंडियन इंड्रस्टीज एसोसिएशन, फिक्की, लघु उद्योग भारती, नरडेको और उत्तर प्रदेश सरकार जून माह से ही 11 लाख कामगारों और श्रमिकों को रोजगार देने की कवायद शुरू कर देगा। इन दावों पर श्रमिक रीझ रहा है।
हर हाथ रोजगार, हर हाथ काम:- योगी आदित्यनाथ का कहना है कि सरकार हर हाथ रोजगार, हर हाथ काम को लेकर बड़ी कवायद कर रही है। प्रदेश में स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादन और ग्रामोद्योग को गति देने की तैयारी है। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट प्रोग्राम से बहुत से लोगों को रोजगार प्राप्त होगा। श्रमिकों को लगता है उनके अच्छे दिन आ गए हैं। इसलिए वे रोजगार की आस में घरों में बैठे हैं।
प्रवासन आयोग की पहल:- यूपी सरकार माइग्रेशन कमीशन यानी प्रवासन आयोग का गठन कर चुकी है। माइग्रेशन कमीशन बाहर से लौटे मजदूरों के लिए बीमा, सामाजिक सुरक्षा, पुन: रोजगार सहायता और बेरोजगारी भत्ते देने जैसी योजना पर काम कर रहा है। श्रमिकों को उम्मीद है आयोग की पहल से उन्हें सोशल सिक्योरिटी मिल सकेगी। यूपी में रुकने की एक बड़ी वजह यह भी है।
हाईकोर्ट में भी श्रमिकों के रोजगार और पुनर्वास का ले आउट प्लान पेश :- उत्तर प्रदेश सरकार से प्रवासी मजदूरों के उपचार, पुनर्वास और रोजगार को लेकर दायर एक याचिका के जवाब में इलाहाबाद हाईकोर्ट को पूरी योजना का ड्राफ्ट सौंपा है। ले आउट प्लान में अब तक किए गए कार्यों का ब्योरा है। 9 जून को इस पर अगली सुनवाई है। जाहिर है सरकार अपने निवासियों के लिए मजबूत पुनर्वास कार्यक्रम की योजना बना रही है ताकि पलायन रुक सके। सरकार के इन कदमों से मजदूरों को भरोसा हो चला है कि यूपी में उनकी समृद्धि की राह खुलेगी। इन कवायदों की वजह से उनके पांव यूपी की जमीं पर थम गए हैं। वे अब वापस अन्य प्रदेशों के लिए नहीं जाना चाहते।