लखनऊ पुस्तक मेला समिति के सम्मान समारोह में मण्डलायुक्त ने विभूतियों को सम्मानित करते हुए कहा कि सम्मान हौसला बढ़ाता है और दूसरों को प्रेरित करता है। जीतेश श्रीवास्तव के संचलन मे चले समारोह में मेला संयोजक मनोज सिंह चंदेल ने 2003 से निरंतर चल रहे पुस्तक मेलों की परम्परा पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर चिरंजीव सिन्हा पुलिस अधिकारी व केपी सिंह ने भी विचार रखे। आभार मेला निदेशक आकर्ष चंदेल ने व्यक्त किया। सम्मानित होने वाली महिलाओं में पुलिस अधिकारी डा.अर्चना सिंह, बीनू सिंह, श्वेता श्रीवास्तव, समीक्षा पाण्डेय, स्वाति चैधरी, प्राची सिंह, रश्मि श्रीवास्तव व नीलम राना, चिकित्सक डा.सुप्रिया सिंह, डा.रूपिका सिंह, डा.वैशाली जैन, डा.कुमुदनी सिंह, डा.प्रियंका सिंह व डा.वरदा अरोड़ा, शिक्षिका रुचि शर्मा व डा.रीना पाठक, रेलवे अधिकारी डा.दीपमाला मिश्रा व जागृति त्रिपाठी के संग अलग-अलग क्षेत्रो में अपर्णा मिश्रा, शुभा जोशी, ऋतु सिंह, किरन फाउण्डेशन की वर्षा श्रीवास्तव, अन्नपूर्णा सहाय, आप्टिकुम्भ की निहारिका रस्तोगी, रेशू भाटिया, शेफ हिमानी मिश्र शामिल रहीं।
पुस्तक मेले में लखनऊ से सम्बंधित साहित्य भी खूब है। हमारा लखनऊ पुस्तक माला की 43 पुस्तकें यहां 20 रुपये में उपलब्ध हैं। पूरा सेट भी खरीदा जा सकता है। यहीं लखनऊ के साहित्यकारों सुधा शुक्ला, डा.रश्मि श्रीवास्तव, दुर्गा शर्मा, बब्बू सिंह राजपूत, डा.नेहाश्री श्रीवास्तव आदि की किताबों के संग शाखा बंद्योपाध्याय के संपादन में निकल रही कला वसुधा के अनेक अंक पुस्तक प्रेमियों के लिए उपलब्ध हैं।
कथारंग में अंतर्गत मंच से प्रेमचन्द की पंच परमेश्वर जैसी कहानियां नूतन वशिष्ठ, अनुपमा शरद, कनिका अशोक, सत्यप्रकाश, आदित्य विश्वकर्मा, अंशी गुप्ता व पूजा विमल ने सुनाई। इससे पहले सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों और शिक्षकों के प्रदर्शन हुए। आप्टिकुम्भ के तहत चिकित्सकों की उपस्थिति में नेत्र जागरूकता कार्यक्रम चला और अंत में मुशायरा एवं कवि सम्मेलन हुआ।