पीठ ने कहा है कि संविधान में दिए गए बोलने के अधिकार का यह कत्तई तात्पर्य नहीं है कि दूसरे धर्म या समुदाय के खिलाफ बोला जाए और उसकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाया जाए। सुनवाई के दौरान अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम राजेश कुमार सिंह ने अभियुक्त की याचिका का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि वह पीएफआई का सक्रिय सदस्य है। विवेचना के दौरान इस बात के पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं कि इसने दूसरे धर्म के खिलाफ भाषण दिया। इसके खिलाफ बाराबंकी के कुर्सी थाने में धार्मिक भावनाएं भड़काने व राममंदिर शिलान्यास के समय गत वर्ष राममंदिर के खिलाफ अनाप-शनाप कहने के मामले में भारतीय दंड विधान (आईपीसी) की धारा 153 ए के तहत एफआईआर दर्ज है। सरकारी वकील का कहना था कि इसने पहले भी इसने इस प्रकार का अपराध किया था। ऐसे में समाजिक समरसता व सुरक्षा