Akhilesh Yadav ने हुसैनगंज-लालकुआं होकर ऐशबाग लखनऊ ईदगाह जाते हुए भाजपा सरकार के कार्यकाल में ही चैथी बार देखा कि वहां 2 साल से बन रहा पुल अभी तक नहीं बन पाया है। भाजपा सरकार ने एक किलोमीटर के निर्माण में लेट लतीफी की हद कर दी है। जबकि Samajwadi Party की सरकार में 22 महीने में 10 किलोमीटर मेट्रो को संचालन के लिए तैयार कर दिया था। इस दस किलोमीटर में सैकड़ों पीलर भी बनाये गये। BJP Government ने श्रमिकों के सुख-दुःख एवं पुनर्वास के मामले में घोर अक्षमता प्रदर्शित की है। श्रमिक भूखे-प्यासे सैकड़ों किलामीटर पैदल चल रहे है, उनके खाने-पीने की व्यवस्था के सरकारी दावे झूठे साबित हो रहे हैं। जो श्रमिक दूसरे प्रांतों से आ गए हैं उनकी रोजी और पुनर्वास के मामले में भी अभी केवल कागजी फाइलें चलाई जा रही हैं।
ठोस में कुछ भी नहीं हो रहा है। Chief Minister के दावों में कितनी सच्चाई है इसी से स्पष्ट है कि श्रमिकों को जब बासी खाना दिया गया तो उन्होंने उसे फेक दिया। हरदोई, चंदौली, मिर्जापुर स्टेशनों पर बदइंतजामी से परेशान श्रमिकों ने हंगामा किया। शाहजहांपुर में लुधियाना से सीतापुर जा रहे पांच यात्री चलती ट्रेन से कूद गए। कई जगह भूखे लोगों ने छीना-झपटी भी की। वह तो सरकारी अमले की नींद उस समय टूटी जब पूर्व सांसद डिम्पल यादव ने श्रमिकों की बदहाली और सरकारी उपेक्षा से क्षुब्ध होकर स्वयं राहत पहुंचाने की मुहिम सम्हाली। उनके द्वारा तपती दोपहरी की बिना परवाह किये कई दिन से एक्सप्रेस-वे और अयोध्या मार्ग पर बसों में भूखे-प्यासे श्रमिकों को भोजन और पानी वितरित किया जा रहा है। कामगारों ने इसके लिए उनका बार-बार आभार व्यक्त किया। इन श्रमिकों को रास्ते में भी कुछ नहीं मिला था। मानो भाजपा ने मजबूर मजदूरों और गरीबों के सब्र का इम्तहान लेने का इरादा कर लिया है।
कोरोना संकट से निपटने के लिए सरकार की न कोई रणनीति है और न नियत। जिस तरह से सरकार ने श्रमिकों की अनेदखी की गई, वैसे ही आम नागरिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। उत्तर प्रदेश में 70 हजार से ज्यादा बसों का बेड़ा है। सरकार की नियत ठीक होती तो बहुत पहले ही श्रमिकों को बिना तबाह किये उनके घरों पर पंहुचा दिया होता। Samajwadi Party ने पूरे लाॅकडाउन पीरियड में अपने नेताओं कार्यकर्ताओं को गरीबों और भूखे-प्यासे श्रमिकों को भोजन-पानी तथा राशन पहुंचाने के लिए निर्देशित किया। जनता में जब राहत पहुंचने लगी तो खुद हाथ पर हाथ धरे भाजपाईयों ने सत्ता के सहारे Samajwadi साथियों पर झूठे मुकदमें भी दर्ज करा दिए। इसके बावजूद Samajwadi राहत कार्यों में लगे हैं। जनता ने भी देखा है कि कौन उनके दुःख दर्द में शामिल है और कौन सिर्फ राहत को तमाशा बना रहा है। सरकार ने श्रमिकों के साथ धोखा किया। उन्हें अपमानित और उपेक्षित करने का महापाप किया है।