बहुजन समाज में उठ रही नये नेतृत्व की मांग, दिग्गज बसपाइयों ने मायावती के खिलाफ खोला मोर्चा

– कांशीराम के मिशनरी साथियों ने मायावती के खिलाफ फूंका विरोध का बिगुल- बहुजन समाज की समस्याओं से मायावती को नहीं रहा कोई सरोकार- खादिम अब्बास- धन दौलत की चाहत ने मायावती को पथभ्रष्ट कर दिया है- वामसेफ के समीर कुमार दोहरे

<p>कौमी तहफ्फुज कमेटी के संयोजक एवं इटावा के पूर्व सांसद कांशीराम के चुनाव इंचार्ज व प्रतिनिधि रहे खादिम अब्बास ने कहा कि कांशीराम के जन्मदिन 15 मार्च को बहुजन समाज के लिए नये नेतृत्व की घोषणा हो जानी चाहिए</p>
लखनऊ. मायावती से इतर बहुजन समाज में नये नेतृत्व की मांग उठ रही है। बसपा के संस्थापक कांशीराम के मिशनरी साथियों ने मायावती के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सभी का कहना है कि बहुजन समाज की समस्याओं से मायावती को अब कोई सरोकार नहीं रह गया है। आम्बेडकर व कांशीराम के मिशन को बचाने के लिये सार्वजनिक रूप से मायावती के विरुद्ध सड़कों पर उतरना होगा, तभी मिशन बचेगा। बहुजन समाज के लोगों को एक सामूहिक नेतृत्व व विकल्प तैयार करने की दिशा में पहल करनी चाहिये, तभी डाॅ. अम्बेडकर व कांशीराम के सपनों के भारत का निर्माण हो सकता है। कौमी तहफ्फुज कमेटी के संयोजक एवं इटावा के पूर्व सांसद कांशीराम के चुनाव इंचार्ज व प्रतिनिधि रहे खादिम अब्बास ने कहा कि मायावती की मिशन विरोधी गतिविधियों के मुकाबले एक नये नेतृत्व की आवश्यकता है। इसकी पहल कांशीराम के जन्मदिन 15 मार्च से हो जानी चाहिये।
बसपा के राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्व सांसद प्रमोद कुरील की अध्यक्षता में शनिवार को एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें बहुजन समाज के लिए नया नेतृत्व तलाशने पर चर्चा हुई। पूर्व सांसद प्रमोद कुरील ने कहा कि मायावती अपने निजी स्वार्थों की खातिर बाबा साहब डाॅ. भीमराव अम्बेडकर एवं बहुजन नायक कांशीराम के मिशन से भटक कर संघ व भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की गोद में बैठ गई हैं। भाजपा सरकार में बहुजन समाज का व्यापक रूप से उत्पीड़न हो रहा है। इसका न तो वह प्रतिरोध करती हैं और न ही बसपा की ओर से विरोध स्वरूप किसी भी प्रकार का धरना और प्रदर्शन ही करती हैं। उन्होंने कहा कि मायावती ने बहुजन समाज को अपने परिवार की निजी जागीर बना लिया है। अपने भाई आनंद को बसपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व सगे भतीजे आकाश को बसपा का राष्ट्रीय कोआर्डिनेटर बना कर सम्पूर्ण बहुजन समाज के साथ विश्वासघात किया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं जागरूक नागरिक मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता नरेश प्रताप सिंह धनगर एडवोकेट ने कहा कि देश भर के मिशनरी साथियों को मायावती रूपी लकीर के नीचे एक लम्बी लकीर खींच देनी चाहिए। तभी डाॅ. अम्बेडकर व कांशीराम के आन्दोलन को बचाया जा सकता है। मायावती ने बसपा को अपनी निजी जागीर समझ कर उसे एक प्राइवेट कम्पनी बना लिया है। डाॅ. धर्मेन्द्र कुमार ने कहा कि मायावती से बहुजन समाज का अब कोई हित होने वाला नहीं है। बहुजन समाज के लोगों को एक सामूहिक नेतृत्व व विकल्प तैयार करने की दिशा में पहल करनी चाहिये, तभी डाॅ. अम्बेडकर व कांशीराम के सपनों के भारत का निर्माण हो सकता है। वामसेफ के समीर कुमार दोहरे ने कहा कि धन दौलत की चाहत ने बहन मायावती को पथभ्रष्ट कर दिया है। उनमें अब सुधार होना असम्भव है। चारों ओर बहुजन समाज के सर्वहारा वर्ग का उत्पीड़न और शोषण हो रहा है, जिसके विरुद्ध बहन जी कभी भी एक शब्द नहीं बोलती हैं। यही कारण है कि आज बहुजन समाज पार्टी रसातल में जा रही है।
नया चेहरा बनने की जुगत में चंद्रशेखर और सावित्रीबाई
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चंद्रशेखर और बहराइच की पूर्व सांसद सावित्रीबाई फुले बहुजन समाज का नया चेहरा बनने की जुगत में हैं। दोनों ही दलितों के मुद्दों को शिद्दत से उठा रहे हैं और मौका मिलते ही मायावती को घेर रहे हैं। भीम आर्मी के चंद्रशेखर जहां नई पार्टी का ऐलान करने की घोषणा कर चुके हैं वहीं, सावित्रीबाई फुले कांशीराम बहुजन समाज पार्टी बनाकर दलितों को अपने साथ जोड़ने को आतुर हैं। हालांकि, राजनीति की माहिर खिलाड़ी मानी जाने वाली मायावती का विकल्प बनना इन दोनों के लिए इतना आसान नहीं है। बावजूद, मायावती के लिए आगे की राजनीतिक राह मुश्किल भरी है। भाजपा, सपा और कांग्रेस जैसे प्रमुख विपक्षी दल पहले से ही बसपा के कोर वोटर्स को अपने खेमे में लाने का हर जतन कर रही हैं, अब ‘अपनों’ की बगावत ने चैलेंज बढ़ा दिये हैं।
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