64 करोड़ की कंपनी को 9 लाख में बेचा
कंपनी के बाद इसे करीब 64 करोड़ रुपए का लोन दिया गया। इसे जिस कंपनी ने लोन दिया वो कंपनी वेणुगोपाल धूत की थी। फिर बाद में इस कंपनी को मालिकाना हक केवल 9 लाख रुपए में एक ट्रस्ट को सौंप दिया गया। ये ट्रस्ट चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की थी। इस पूरे प्रकरण में सबसे चौकाने वाली बात ये है कि, दीपक कोचर को इस कंपनी का ट्रांसफर तब मिला, जब वेणुगाेपाल द्वारा आर्इसीआर्इसीआर्इ बैंक की तरफ से वीडियोकाॅन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपए का लोन मिला। ये ट्रांसफर इस लोन मिलेन के 6 माह बाद हुआ था।
लोन का 2,810 करोड़ रुपए एनपीए घोषित
वर्ष 2017 तक वीडियोकाॅन ने बैंक को लोन की रकम वापस नहीं की। जिसके बाद बैंक ने वीडियोकाॅन के खाते को एनपीए घोषित कर दिया। घोषित एनपीए में इस लोन का 86 फीसदी यानि कुल 2,810 करोड़ रुपए था। फिलहाल जांच एजेंसी धूत, कोचर आैर आर्इसीआर्इसीआर्इ बैंक के बीच हुए सभी तरह के लेन-देन की जांच कर रही है। अभी हाल ही में नीरव मोदी घोटाले में जांच एजेंसियों ने चंदा कोचर को पूछताछ के लिए समन भेजा था।
बैंक ने चंदा कोचर का किया बचाव
इसी बीच आर्इसीआर्इसीआर्इ बैंक ने इसमें नाम शामिल होने पर सफार्इ दी हैं। बैंक ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा है कि, ‘बोर्ड को बैंक के एमडी आैर सीर्इआे चंदा कोचर पर पूरा भरोसा है। सभी तथ्यों को देखने के बाद बोर्ड इस नतीजे पर पहुंचा है कि भार्इ-भतीजावाद आैर हितों के टकराव सहित भ्रष्टाचार की जो अफवाहें चल रही हैं, उनमें कोर्इ सच्चार्इ नहीं है। इस तरह के अफवाह आर्इसीआर्इसीआर्इ के साख खराब करने के लिए फैलाया जा रहा है।’