अप्रशिक्षित संचालक करते हैं जांचें जिले में धौलपुर, मनियां, राजखेड़ा, बाड़ी, बसेड़ी, सैंपऊ में कई ऐसे निजी डायग्नोस्टिक सेंटर अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं, जो चिकित्सा नियमों को ताक पर रखकर मरीजों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। इन सेंटरों पर कार्य करने वाले अधिकतर कार्मिक अप्रशिक्षित हैं और उनको रेडियेशन की जानकारी तक नहीं है।
ऐसे में एक्सरे, सोनोग्राफी कराने जाने वाले मरीजों को रेडियेशन की कितनी मात्रा मिलनी चाहिए, इसकी जानकारी तक नहीं है। अनचाहा रेडियेशन मरीज के शरीर में प्रवेश कर जाता है, जिसकी भनक तक नहीं होती है। इसके साथ ही मशीनों को ऑपरेट करने वाले कार्मिकों के पास विकिरण विज्ञान में कोई अनुभव, प्रशिक्षण या डिप्लोमा तक नहीं होता है।
क्या हैं नियम जिले में निजी तौर पर संचालित एक्सरे मशीनें, डायग्नोस्टिक सेंटर भारत परमाणु नियंत्रक बोर्ड मुम्बई के अनुरूप नहीं हैं। एईआर मुम्बई बोर्ड के अनुसार एक्सरे मशीनों को प्रशिक्षित रेडियोग्राफर या रेडियोलोजिस्ट ही संचालित कर सकता है।
मनचाही वसूलते हैं फीस जिलेभर में संचालित हो रहे इन सेंटरों पर जब मरीज एक्सरे या जांच कराने जाते हैं तो उससे ५०० से लेकर १२०० रुपए तक ऐंठ लिए जाते हैं। मरीज भी मजबूरी में इतने पैसे दे देते हैं। देखा जाए तो यह सब जांच या एक्सरे सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क किए जाते हैं।
ये हो सकती हैं बीमारियां मरीजों को अनचाहा विकिरण मिलने से थाइराइड, लंग्स एवं चमडी के केंसर, आंखों में मोतियाबिन्द आदि हो सकते हैं। गर्भवती महिलाओं के पेट में पल रहे बच्चे में जन्मजात विकृतियां आ सकती हैं। महिला और पुरुषों में बंध्यता अर्थात् इन्फर्टिलिटी हो सकती है।
इसीलिए मरीजों को किसी चिकित्सक की सलाह पर प्रशिक्षित रेडियोग्राफर से ही एक्सरे या जांच करवाना चाहिए, जिससे कम से कम रेडियेशन मिले। जिले में आयेदिन निजी डायग्नोस्टिक सेंटर खुलते जा रहे हैं, लेकिन विभागीय अधिकारियों का कोई ध्यान तक नहीं है। यही नहीं इनके खिलाफ कभी कार्रवाई करने की जहमत तक नहीं उठाई जाती।
इनका कहना है जिले में संचालित हो रहे अवैध डायग्नोस्टिक सेंटरों के खिलाफ बड़े स्तर पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी और नियमों के विरुद्ध मिलने पर सील किए जाएंगे। इसके लिए टीम गठित की जा रही है। लोग भी सरकारी अस्पताल में ही सुविधाओं का लाभ लें।
डॉ. राजेश मित्तल, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी धौलपुर। इनका कहना है मानव स्वास्थ्य के लिए रेडियेशनइन काफी खतरनाक होता है। इस क्षेत्र में कार्य करने वाले कार्मिक को २० मिली सीवर्ट से अधिक रेडियेशन नहीं मिलना चाहिए। निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों के खिलाफ चिकित्सा विभाग को अवश्य कार्रवाई करनी चाहिए।
अरुण कुमार चौगले, रेडियेशन सेफ्टी ऑफीसर एसएमएस अस्पताल जयपुर। इनका कहना है एक्सरे, सीटी स्कैन, सोनोग्राफी सहित आदि जांचें सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क हैं। लोग इन योजनाओं का लाभ लें। वहीं सरकारी अस्पताल की जांचें प्रमाणित व योग्य प्रशिक्षितों द्वारा की जाती हैं।
डॉ. जनार्दन सिंह परमार, प्रमुख चिकित्साधिकारी धौलपुर।