जब हुई अंबानी बनाम अंबानी की लड़ाई
पैसों को लेकर अक्सर बड़े-बड़े करोबारी भाईयों के बीच लड़ाई होती देखी गई हैं। पैसो और कारोबार के लिए दो भाईयों की इस लड़ाई से देश के सबसे अमीर शख्स यानी मुकेश अंबानी तक नहीं बच सके हैं। इस लड़ाई की शुरूआत तब हुई जब साल 2002 में धीरूभाई अंबानी की मृत्यु हो गई। तब शुरु हुई कारोबार को लेकर अंबानी बनाम अंबानी की लड़ाई। ये लड़ाई काफी घमासान रही थी। एक बार तो मुकेश अंबानी ने खुलेआम यह कहकर कॉर्पोरेट दुनिया और स्टॉक मार्केट की सांसें रोक दी थीं कि उनके और छोटे भाई अनिल अंबानी के बीच बंटवारे को लेकर कुछ मतभेद हैं।
पैसों को लेकर अक्सर बड़े-बड़े करोबारी भाईयों के बीच लड़ाई होती देखी गई हैं। पैसो और कारोबार के लिए दो भाईयों की इस लड़ाई से देश के सबसे अमीर शख्स यानी मुकेश अंबानी तक नहीं बच सके हैं। इस लड़ाई की शुरूआत तब हुई जब साल 2002 में धीरूभाई अंबानी की मृत्यु हो गई। तब शुरु हुई कारोबार को लेकर अंबानी बनाम अंबानी की लड़ाई। ये लड़ाई काफी घमासान रही थी। एक बार तो मुकेश अंबानी ने खुलेआम यह कहकर कॉर्पोरेट दुनिया और स्टॉक मार्केट की सांसें रोक दी थीं कि उनके और छोटे भाई अनिल अंबानी के बीच बंटवारे को लेकर कुछ मतभेद हैं।
इस शख्य ने सुलझाई लड़ाई
धीरूभाई आंबनी के कोई वसीयत नहीं छोड़ी जाने के कारण दोनों के बीच करोबार को लेकर दरार पड़ गई थी।पिता के गुजरने के बाद बड़े बेटे मुकेश रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी बने, जबकि अनिल को वाइस-चेयरमैन का पद मिला। कंपनी पर नियंत्रण को लेकर दोनों में विवाद हुआ। 2005 में मां कोकिलाबेन ने मध्यस्थता करते हुए दोनों भाइयों के बीच रिलायंस की अलग-अलग कंपनियों का बंटवारा किया।
धीरूभाई आंबनी के कोई वसीयत नहीं छोड़ी जाने के कारण दोनों के बीच करोबार को लेकर दरार पड़ गई थी।पिता के गुजरने के बाद बड़े बेटे मुकेश रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और एमडी बने, जबकि अनिल को वाइस-चेयरमैन का पद मिला। कंपनी पर नियंत्रण को लेकर दोनों में विवाद हुआ। 2005 में मां कोकिलाबेन ने मध्यस्थता करते हुए दोनों भाइयों के बीच रिलायंस की अलग-अलग कंपनियों का बंटवारा किया।
इन कारोबारी घरानों में भी हुई लड़ाई
2004 में दिवंगत माधव प्रसाद बिरला की पत्नी प्रियमवदा नहीं रहीं। वह वसीयत में सारी जायदाद और शेयर सीए राजेंद्र सिंह लोढ़ा के नाम कर गईं। परिजन ने आपत्ति जताते हुए मामला कोर्ट में खींचा। इस लड़ाई में बिरला परिवार ने अरुण जेटली-राम जेठमलानी की मदद भी ली थी। वहीं, 2012 में शराब कारोबारी पॉन्टी चड्ढा और भाई हरदीप के बीच संपत्ति विवाद को लेकर शूटआउट हुआ, जिसमें दोनों मारे गए थे। हरदीप 2010 से बीमार पिता पर पारिवारिक कारोबार को तीनों भाइयों के बीच बांटने को लेकर दबाव बना रहा था। सिंघानिया परिवार में भी पनपा संपत्ति विवाद राष्ट्रीय सुर्खियों में खूब छाया था।
2004 में दिवंगत माधव प्रसाद बिरला की पत्नी प्रियमवदा नहीं रहीं। वह वसीयत में सारी जायदाद और शेयर सीए राजेंद्र सिंह लोढ़ा के नाम कर गईं। परिजन ने आपत्ति जताते हुए मामला कोर्ट में खींचा। इस लड़ाई में बिरला परिवार ने अरुण जेटली-राम जेठमलानी की मदद भी ली थी। वहीं, 2012 में शराब कारोबारी पॉन्टी चड्ढा और भाई हरदीप के बीच संपत्ति विवाद को लेकर शूटआउट हुआ, जिसमें दोनों मारे गए थे। हरदीप 2010 से बीमार पिता पर पारिवारिक कारोबार को तीनों भाइयों के बीच बांटने को लेकर दबाव बना रहा था। सिंघानिया परिवार में भी पनपा संपत्ति विवाद राष्ट्रीय सुर्खियों में खूब छाया था।