ट्राई ने कहा, दूसरी टेलिकॉम कंपनियां भी दे सकती हैं जियो जैसे ऑफर्स

सभी टेलिकॉम कंपनियां कम टैरिफ और फ्री ऑफर्स जैसी सुविधाएं देने के लिए आजाद हैं, लेकिन नियमों का करना होगा पालन।

नई दिल्ली। टेलिकॉम रेग्यूलेटर अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने ये साफ कर दिया है कि दूसरी टेलिकॉॅम कंपनियां भी जियो जैसे ऑफर दे सकती है। सभी टेलिकॉम कंपनियां कम टैरिफ और फ्री ऑफर्स जैसी सुविधाएं अपनी ग्राहकों को देने के लिए आजाद है। लेकिन इसके लिए उन्हे प्रिडेटरी प्राइसिंग पर के नए आदेशों का पालन करना होगा। इस आदेश के तहत सिग्निफिकेंट मार्केट पावर को लेकर नए तरीके से परिभाषित किया गया है। ट्राई ने कहा कि, हम यह नहीं कह रहे है कि आप कुछ नहीं कर सकते हैं। कोई एसएमपी भी फ्री ऑफर देने के लिए स्वछंद है। लेकिन उनको इस बात का भी ध्यान रखना होगा की वो ऐेसे कॉम्पटिशन का गला तो नहीं घोट रहे।


प्राइसिंग ऑर्डर पर रोक लगाने के लिए दूसरे ऑपरेटर्स ने की थी मांग

ट्राई के इस कथन के बाद अब देश की कई टेलिकॉम कंपनियां जैसे भारती एयरटेल, वोडाफोन, और आइडिया सेल्यूलर अपने ग्राहकों को और बेहतर ऑफर्स दे सकती है। दरअसल कुछ टेलिकॉम कंपनियों ने ट्राई पर आरोप लगाया था कि उसके प्राइसिंग ऑर्डर रिलायंस जियो को फायदे पहुंचाने की दृष्टि से है। ऐसा इसलिए था क्योंकि, ट्राई ने उन कंपनियों को टैरिफ में फलेक्सिबिलिटी दिया है जिनका मार्केट रिवेन्यू 30 फीसदी से कम है। इसको लेकर दो प्रमुख ऑपरेटर एयरटेल और आईडिया ने टेलिकॉम डिसप्यूट्स सेटलमेंट ऐंड अपीलेट ट्रीब्यूनल से गुहार भी लगाई थी। उनकी मांग थी कि इस प्राइसिंग ऑर्डर पर रोक लगना चाहिए, हालांकि इसे बाद में खारिज कर दिया गया था। आपको बता दें कि एयरटेल और आईडिया-वोडाफोन के रेवेन्यू शेयर मार्केट पहले ही 30 फीसदी के उपर है। जिसके चलते वो जियो द्वारा दिए जाने वाले ऑफर्स के मुकाबले नहीं कर सकते। उनकी कहना है कि एक तरफ जहां जियो के पास 13-14 फीसदी मार्केट शेयर है और उन्हे एसएमपी बनने में कई तिमाहियां लग सकती है।


किसी आदेश से परेशानी, तो कोर्ट जाएं

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ट्राई के एक अधिकारी ने रेग्युलेटरी संस्थाओं को नीचा दिखाने की कोशिश करने के लिए ऑपरेटर्स की आलोचना की। उन्होने कहा कि, यदि जियो जीरो टैरिफ जैसे ऑफर पेश करता है दूसरी टेलिकॉम कंपनियां भी ऐसे ऑफर्स पेश कर सकती है। उन्हाने इस बात की भी आलोचना कि एयरटेल, वोडाफोन, और आईडिया ने बिना किसी आधार के ट्राई के खिलाफ मीडिया कैंपेन चलाया है। यदि उन्हे किसी आदेश से परेशानी थी तो उन्हे तुरंत कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए था।

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