12 महीनों में 29 हजार करोड़ शाॅपिंग, मुकेश अंबानी ने कुछ एेसे की खरीदारी

रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन मुकेश अंबानी की अगुआई में कंपनी बीते एक साल में कंपनियां या उनकी स्टेक खरीदने के लिए लगभग 28,900 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं।

<p>12 महीनों में 29 हजार करोड़ शाॅपिंग, मुकेश अंबानी ने कुछ एेसे की खरीदारी</p>

नर्इ दिल्ली। देश के सबसे ज्यादा अमीर व्यक्तियों में शुमार मुकेश अंबानी ने 12 महीनों में 29 हजार करोड़ रुपए की शाॅपिंग कर डाली है। ताज्जुब की बात तो ये है कि इस शाॅपिंग में बेटे आैर बेटी सगार्इ आैर शादी की रकम शामिल नहीं है। अब सवाल ये है कि आखिर मुकेश अंबानी ने एेसा क्या खरीदा है जिसकी वजह से उन्होंने एक साल के अंदर 29 हजार करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं। आइए आपको भी बताते हैं…


कुछ एेसे खर्च कर दिए 29 हजार करोड़ रुपए
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्री के चेयरमैन मुकेश अंबानी की अगुआई में कंपनी बीते एक साल में कंपनियां या उनकी स्टेक खरीदने के लिए लगभग 4.21 अरब डॉलर यानी 28,900 करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं। आरआईएल द्वारा की गईं इस डील्स में शामिल 10 कंपनियां कंज्यूमर बिजनेस से जुड़ी हैं। मुकेश अंबानी भारत की मौजूदा बैड लोन की समस्या का लाभ उठाने में जुटी हुर्इ हैं। जिसके तहत टेक्सटाइल कंपनी आलोक इंडस्ट्रीज के अलावा एक कार्बन फाइबर फर्म और अनिल अंबानी की कर्ज में डूबी कंपनी आरकॉम के कई एसेट्स खरीदने की डील की है।

पेट्रोलियम की तरह बाकी को भी प्रोफिटेबल बनाने की योजना
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने जिस तरह से पेट्रोलियम रिफाइनिंग इंडस्ट्री को प्राॅफिटेबल बनाया है उसी तरह से टेलिकॉम, रिटेल और मीडिया कंपनियों के अधिग्रहण से अंबानी की इन सेक्टर्स को प्रॉफिटेबल बनाने की कोशिश करने में जुटे हुए हैं। एंटरटेनमेंट और आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड एजुकेशन कंपनियों के अधिग्रहण से अंबानी द्वारा रिलायंस जियो इन्फोकॉम के इर्दगिर्द एक इंटिग्रेडेट डिजिटल ऑफरिंग तैयार करने के संकेत भी जाहिर होते हैं।

खुद के कंटेंट पर कर रहे हैं काम
जानकारों की मानें तो रिलायंस इन अधिग्रहणों के माध्यम से कंटेंट कब्जाने की कोशिश में है। अगर कंपनी पर्याप्त कंटेंट जेनरेट कर लेती है तो निश्चित तौर पर यूजर्स उनके नेटवर्क पर आएंगे। हाल में आरआईएल की एजीएम के दौरान अंबानी ने अपने ई-कॉमर्स प्लान के बारे में भी संकेत दिए। ब्रोकरेज सीएलएस ने अपनी 3 जुलाई की रिपोर्ट में कहा कि ई-कॉमर्स प्लान कंपनी के स्टॉक की रीरेटिंग की वजह बन सकता है।

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