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बाढ़ की वजह से 40 साल पीछे चला गया केरल का यह पहाड़ी इलाका, 26 साल में पहली बार खुले बांध के गेट

माकपा नेता ने मीडिया से कहा, “हमारे पूर्वजों ने पिछले 100 सालों में इडुक्की में जो कुछ किया था, वह सब बह गया। इडुक्की 40 साल पीछे चला गया है।”

Aug 27, 2018 / 09:17 am

Saurabh Sharma

बाढ़ की वजह से 40 साल पीछे चला गया केरल का यह पहाड़ी इलाका, 26 साल में पहली बार खुले बांध के गेट

नर्इ दिल्ली। केरल के बिजली मंत्री एमएम मणि ने रविवार को यहां कहा कि पहाड़ी इडुक्की जिला सदी की भयानक बाढ़ के कारण 40 साल पीछे चला गया है। माकपा नेता ने मीडिया से कहा, “हमारे पूर्वजों ने पिछले 100 सालों में इडुक्की में जो कुछ किया था, वह सब बह गया। इडुक्की 40 साल पीछे चला गया है।” उन्होंने कहा कि इडुक्की के लिए यह एक सबसे भयानक आपदा थी।

जबरदस्त तबाही
इडुक्की में लोगों का मुख्य पेशा खेती है। लेकिन तमाम पहाड़ियों और खतरनाक इलाकों के कारण इस जिले की जिंदगी कभी आसान नहीं रही है। इडुक्की में कई बड़े बांध हैं, जिनमें जलस्तर बढ़ने के बाद उनके गेट खोले जाने से इस महीने राज्य भर में अभूतपूर्व तबाही हुई है। इडुक्की में मई अंत से अगस्त मध्य तक सर्वाधिक बारिश हुई है। इसके कारण इडुक्की, मुल्लापेरियार और अन्य बांधों का जलस्तर बढ़ गया। पिछले 26 सालों में पहली बार इडुक्की बांध के गेट खोले गए, जिसके कारण बाढ़ आई।

इडुक्की राजधानी तिरुवनंतपुरम से कटा
मणि ने कहा, “मैंने इतनी भयानक तबाही इसके पहले नहीं देखी।” तबाही की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इडुक्की राजधानी तिरुवनंतपुरम से कट गया है, क्योंकि दोनों को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है। लिहाजा मणि को पड़ोसी राज्य तमिलनाडु से होते हुए तिरुवनंतपुरम जाना पड़ता है। मणि को इडुक्की बांध के जल कुप्रबंधन के लिए विपक्ष के हमले का सामना करना पड़ा है। लेकिन उनका कहना है कि सभी नियमों का पालन किया गया। उन्होंने कहा, “सभी संबंधित लोगों से चर्चा के बाद स्पष्ट दिशानिर्देशों के अनुसार सबकुछ किया गया।”

राजनीति को किया दरकिनार
इडुक्की के विधायक, रोशी ऑगस्टिन ने रविवार को कहा कि इडुक्की को वापस अपने पैर पर खड़ा करने के लिए और सबकुछ गंवा चुके लोगों के पुनर्वास के लिए भारी प्रयास करने की जरूरत है। कांग्रेस के विधायक ऑगस्टिन ने कहा, “त्रासदी आने के बाद राजनीति को दरकिनार कर दिया गया है। हर कोई इडुक्की को इसका मूल रूप प्रदान करने के लिए एक टीम के रूप में काम कर रहा है। उचित बांध प्रबंधन नीति मौजूदा समय की मांग है।”

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