ये कंपनियां देती हैं एमएनपी की सुविधा देश में इस समय एमएनपी की सुविधा इंटरकनेक्शन टेलिकॉम सॉल्यूशंस और सिनिवर्स टेक्नॉलजीस नाम की कंपनियां देती हैं। इन दोनों कंपनियों के पास यह सेवाएं देने के लिए मार्च 2019 तक का लाइसेंस है। इन कंपनियों ने दूरसंचार विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि नंबर पोर्ट कराने वाली फीस में कमी से इनको घाटे का सामना करना पड़ रहा है। इस कारण वे अपनी सेवाएं बंद कर रहे हैं। दोनों कंपनियों की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया है कि इस साल जनवरी से नंबर पोर्टेबिलिटी में 80 फीसदी की कमी आई है। एेसे में लगातार हो रहे घाटे के कारण वह अपनी सेवाएं बंद करने पर मजबूर हैं।
ट्राई ने घटाई से नंबर पोर्ट कराने की फीस भारत में 2011 में मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी की सेवा शुरू की गई थी। इस सेवा का लाभ लेने के लिए पहले ट्राई की ओर से 19 रुपए की फीस निर्धारित की गई थी। लेकिन उपभोक्ताओं की शिकायत के बाद ट्राई ने इस फीस को घटाकर 4 रुपए कर दिया था। फीस कम होने के कारण पोर्टेबिलिटी की सेवाएं देने वाली कंपनियों का घाटा बढ़ रहा है। इस कारण कंपनियां मार्च 2019 से आगे सेवाएं देने से मना कर रही हैं।
ये हैं मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी सेवा वैसे तो देश में 2011 से ही मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी से सेवाएं शुरू हो गई थीं, लेकिन देश के किसी भी एक शहर से दूसरे शहर में नंबर पोर्ट कराने की सुविधा 3 मई 2015 से शुरू हुई थी। जो भी मोबाइल नंबर उपभोक्ता किसी कंपनी की सेवाएं 90 दिनों तक इस्तेमाल कर लेता है वह इस सुविधा का लाभ ले सकता है। एक बार नंबर पोर्ट कराने के बाद उपभोक्ता को नई कंपनी के साथ कम से कम 90 तक जुड़े रहना होगा। आवेदन करने के बाद सात दिनों के अंदर आपका नंबर नई कंपनी के पास पोर्ट हो जाता है। इस दौरान आपका नंबर दो घंटे के लिए बंद रहता है। मीडिया रिपोर्टस के अनुसार दोनों कंपनियों के पास नंबर पोर्ट कराने के लिए इस साल मार्च तक 370 मिलियन आवेदन आ चुके हैं।