स्टूडेंट्स के लिए पैदा होंगे नए अवसर
आईआईटी दिल्ली में प्रोफेसर अनुराग एस राठौर के अनुसार सेमीकंडक्टर और मेमोरी, तकनीकी में हो रहे लगातार बदलावों के केंद्र बने हुए हैं। आईआईटी दिल्ली को तकनीकी क्षेत्र के एक वैश्विक दिग्गज माइक्रॉन के साथ जुड़कर गर्व महसूस हो रहा है। मुझे विश्वास है कि इस नई साझेदारी से हमारे छात्रों और शिक्षकों के लिए इस क्षेत्र के कुछ बेहतरीन दिमागों के साथ सहयोग करने और जुडऩे के नए अवसर पैदा होंगे।
नौकरियां भी मिलेंगी
माइक्रॉन इंडिया के प्रबंध निदेशक आनंद राममूर्ति की माने तो माइक्रॉन का यूनिवर्सिटी रिसर्च अलायंस हमारे लंबी अवधि के निवेश और भारत के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हम भारत के इंजीनियरिंग प्रतिभाओं के पूल में जबरदस्त क्षमता देखते हैं और महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग क्षमताओं, कार्यों, डाटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग और स्मार्ट निर्माण को मजबूत और तेज करने के लिए अगले चार से पांच वर्षों में टीम के लगभग 5,000 सदस्यों को नियुक्त करने का लक्ष्य रखते हैं।
मेन इन इंडिया को बढ़ावा
माइक्रॉन की यूनिवर्सिटी अलायंस गतिविधि मेक इन इंडिया पहल में योगदान देती है, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत में निवेश, नवोन्वेष, और विनिर्माण और इंजीनियरिंग कौशल को बढ़ाने के लिए की गई है। यूआरएएम नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया आयोग, तेलंगाना अकादमी फॉर स्किल एंड नॉलेज और टी-हब पहलों के साथ मिलकर प्रयासों को आगे बढ़ाएगा। इसके अलावा, यूआरएएम प्रतिभा और उन्नत कौशल के निर्माण के लिए नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज़ और हैदराबाद सॉफ्टवेयर एंटरप्राइजेज एसोसिएशन द्वारा स्थापित मानकों का पालन करता है।