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आखिर क्या है अमरीकी पाबंदी
Office of Foreign Assets Control अमरीकी ट्रेजरी डिपार्टमेंट का पार्ट है। जोकि देश की फॉरेन पॉलिसी के बेस पर इकोनॉमिक और ट्रेड इकनॉमिक और ट्रेड रोक लगाता है। म्यांमार में 1 फरवरी को सैन्य तख्तापलट देखने को मिला था। उसके बाद से व्यापक विरोध प्रदर्शनों को कुचलने का प्रयास जारी है। सैकड़ों लोगों की मौतों का सिलसिला जारी है। जिसकी पूरी दुनिया में आलोचना की जा रही है। म्यांमार की सेना के अधिकारियों और सेना द्वारा नियंत्रित संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।
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आखिर क्यों है इस प्रोजेक्ट पर संकट
अडानी ने पिछले साल यांगून इंटरनेशनल टर्मिनल के निर्माण करने और ऑपरेट करने का कांट्रैक्ट हासिल किया था। कंपनी के अनुसार यह एक एक इंडिपेंडेंट प्रोजेक्ट है जिस पर कंपनी का मालिकाना हक है। अब पेंच यह है कि अडानी की कंपनी इस प्रोजेक्ट के लिए म्यांमार इकनॉमिक कॉरपोरेशन को लैंड यूज फीस के तौर पर 3 करोड़ डॉलर देगी। म्यांमार इकनॉमिक कॉरपोरेशन उन दो कंपनियों में शामिल है जो म्यांमार की सेना द्वारा नियंत्रित है और जिन पर अमरकी प्रतिबंध हुआ है।
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937 करोड़ रुपए का हो सकता है नुकसान
कंपनी के अनुसार उसने इस प्रोजेक्ट पर 12.7 करोड़ डॉलर यानी 937 करोड़ रुपए का इंवेस्टमेंट किया हुआ है। इसमें से 9 करोड़ डॉलर लैंड लीज के लिए अपफ्रंट पेमेंट के रूप में और साथ ही करीब 300-350 लोगों को साइट पर नौकरी पर रखने के लिए दिए गए हैं। कंपनी के अनुसार अगर वह इस राशि को बट्टे खाते में डालती है तो उस पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि यह कंपनी के कुल एसेट्स का केवल 1.3 फीसदी है।