गोपनीय दस्तावेज में यह भी: कंपनी के दस्तावेज 2012 से 2019 के बीच के हैं। इसमें वह भारतीय नियामकों को चकमा देने की गोपनीय रणनीति पर काम कर रही है। भारत में 7 लाख से अधिक सेलर्स का दावा करती है। सभी बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं। इसके विपरीत दस्तावेजों में लिखा गया है कि भारत में कुल बिक्री का दो तिहाई हिस्सा सिर्फ 33 सेलर्स के हाथों में है।
2019 में ऐसे छुपाई थी जानकारी-
अ मेजन के सीनियर एग्जीक्यूटिव जे. कार्नी को 2019 में अमरीका में भारतीय राजनयिक के सामने यह बात छुपाने के लिए कहा गया था कि वेबसाइट से होने वाली आनलॉइन वस्तुओं में एक तिहाई वस्तुएं सिर्फ 33 विक्रेता बेच रहे हैं। नोट में इस जानकारी को अतिसंवेदनशील और साझा नहीं करने योग्य बताया गया था।
…तो लाखों विक्रेताओं को मिलती राहत-
अमेजन ने झूठा दावा किया था कि कंपनी भारत में छोटे दुकानदारों और कारोबारियों को साथ लेकर आगे बढ़ रही है। जानकारी समय से सामने आती तो उन छोटे-बड़े विक्रेताओं को राहत मिल सकती थी, जो आरोप लगाते रहे हैं कि अमेजन नियमों का उल्लंघन कर कुछ विक्रेताओं को फायदा पहुंचा रही है। हालांकि देश में कंपनी की एक जांच भी चल रही है।
पीएम को भी नहीं बख्शा, लगाए आरोप-
अमेजन के गोपनीय दस्तावेज में लिखा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न तो बुद्धिजीवी हैं और न ही बहुत पढ़े-लिखे। उनको ऐसा लगता है कि वह सिर्फ मजबूत शासन-प्रशासन के बलबूते शासन कर सकते हैं। वह साधारण, तार्किक व सीधी सोच के हैं। इसके अलावा कंपनी की भारत में बिजनेस को लेकर कई गोपनीय रणनीति का भी जिक्र है। हालांकि अभी तक पीएमओ व वाणिज्य-उद्योग मंत्रालय की ओर से कोई टिप्पणी नहीं आई है।
अमेजन इंडिया के अधिकारियों ने आरोपों को बताया दुर्भावनापूर्ण-
अमेजन इंडिया के हेड अमित अग्रवाल का कहना है कि रायटर्स एजेंसी की रिपोर्ट दुर्भावनापूर्ण है। यह असंगत व तथ्यात्मक रूप से गलत है। अमेजन पूरी तरह से भारतीय कानूनों का अनुपालन कर रही है। 2025 तक एक करोड़ छोटे व्यवसायों को डिजिटल बनाने के लिए करोड़ों रुपए अतिरिक्त निवेश किया है।