33 लाख डायरेक्टर्स में से 21 लाख के डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर यानि डीआईएन फ्रीज हो जाएंगे।
नर्इ दिल्ली। देश मौजूद कंपनियों के करीब 21 लाख डायरेक्टर्स की पहचान पर संकट मंडरा रहा है। देश की मोदी सरकार एेसे डायरेक्टर्स पर बड़ी कार्रवार्इ करने जा रही है। वास्तव में मोदी सरकार के आदेश के अनुसार इन डायरेक्टर्स ने अपने केवार्इसी अपडेट नहीं किए हैं। एेसे में इन सबके डीआईएन को फ्रीज कर दिया जाएगा। आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर पूरा मामला क्या है?
21 लाख डायरेक्टर्स के डीआईएन खतरे में
33 लाख डायरेक्टर्स में से 21 लाख के डायरेक्टर आइडेंटिफिकेशन नंबर यानि डीआईएन फ्रीज हो जाएंगे। दरअसल सरकार ने देश की कंपनियों में सभी एक्टिव डायरेक्टर्स को नो योर कस्टमर्स यानि केवाईसी अपडेट करने को कहा था। इस व्यवस्था को सिर्फ 12 लाख डायरेक्टर्स ने ही पूरा किया है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स ने इसके लिए शनिवार आधी रात तक डेडलाइन तय की थी। माना जा रहा है कि अब सरकार डेडलाइन को आगे नहीं बढ़ाएगी।
अाखिर केवार्इसी क्यों?
केवाईसी प्रक्रिया शेल कंपनियों को बंद करने की बड़ी प्रक्रिया का एक हिस्सा है। कई कंपनियां डायरेक्टर रखने में हेराफेरी करती हैं। कई बार नौकरों को उनकी जानकारी के बिना डायरेक्टर्स बना दिया जाता है। केवाईसी से इस तरह की गतिविधियों पर लगाम लगेगा। साथ ही कंपनियों में हो रही कर्इ तरह की हेराफेरी को रोका जा सकेगा।
अभी है मौका
हालांकि जो डायरेक्टर्स अपना केवाईसी नहीं करा पाए हैं उनके पास एक मौका है। वो चाहें तो 5000 रुपए की फीस देकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। देश में 50 लाख के करीब डीआईएन जारी किए गए हैं। इनमें से केवल 33 लाख को ही ऐक्टिव डायरेक्टर्स माना जा रहा था। हालांकि इनमें भी एक बड़ी संख्या घोस्ट डायरेक्टर्स की होने की संभावना है। केवाईसी के जरिए यह पहचान करने की कोशिश हो रही है कि असल में कंपनियों का स्वामित्व किसके पास है।
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