Lakhimpur Khiri Inside Story: यूपी पुलिस की नाकेबंदी में बड़ी सेंध, पीड़ित परिवार से मिल लिए पांच टीएमसी सांसद

Lakhimpur Khiri News. पुलिस को पता ही नहीं चल पाया, दिल्ली और लखनऊ के रास्ते पहुंचे लखीमपुर खीरी। पर्यटकों की तरह आए पेश, बना रखा था फुलप्रूफ प्लान।

<p>Car On Fire</p>
लखीमपुर. Lakhimpur Khiri News. लखीमपुर खीरी तीन अक्टूबर से छावनी में तब्दील है। आम आदमियों की तो छोडि़ए बड़े-बड़े नेताओं और मंत्रियों तक का यहां पहुंचना बहुत मुश्किल है। जिन्हें इजाजत है वही वहां जा सकते हैं। लेकिन इस कड़े बंदोबस्त में तीन अक्टूबर की रात को ही सेंध लग गयी थी। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के पांच सांसद आसानी से लखीमपुर पहुंच गए थे। इसकी किसी को कानों कान खबर तक नहीं हुई। यह सभी पीडि़तों से मिलकर लौट भी गए। ऐसे में यूपी पुलिस की सक्रियता पर सवाल उठ रहे हैं।
पहुंचने के लिए बनाया था फुल प्रूफ प्लान-
पश्चिम बंगाल के पांचों सांसदों ने लखीमपुर पहुंचने से पहले पुख्ता योजना बनायी। ताकि उनके उनके यहां आने की किसी को भनक तक न लग सके। पांच सांसद हो गुट में बंट कर यहां तक पहुंचे। पहले गुट में लोकसभा सांसद काकोली घोष दस्तिदार, राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव शामिल थीं। तो दूसरे गुट में सांसद डोला सेन, प्रतिमा मंडल व अबीर रंजन बिस्वास शामिल थे। पहले गुट के सदस्य लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचे, जहां पहले से ही पुलिस तैनात थी, लेकिन उनके आगमन के दौरान ही एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री ने पुलिस का ध्यान भटका दिया और वे वहां से निकलने में कामयाब हुए।
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पर्यटकों की तरह आए पेश-
घोष दस्तिदार ने एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में बताया कि वे आम नागरिकों की तरह पर्यटक के रूप में खुद को पेश किया। चेहरे पर मास्क व आम वेषभूषा के कारण नाकों पर खड़ी पुलिस को चकमा देने में वे कामयाब रहे। कई जगह उन्होंने लिफ्ट का सहारा लिया। मदद करने वालों ने उनकी पहचान जानना भी प्राथमिकता नहीं समझी।
गूगल का लिया सहारा-
दूसरे गुट ने दिल्ली पहुंच वहां से लखीमपुर जाने के लिए सड़क मार्ग चुना, हालांकि इसमें उन्हें काफी वक्त लगा, लेकिन वह इसके लिए तैयार थे। यह जानते हुए कि रास्ते में कई जगह चेक पोस्ट मिलेगी, इन लोगों ने रणनीति बनायी। वे भी पर्यटक की तरह ही पेश आए। गूगल के सहारे अगले पर्यटन स्थल की जानकारी लेते हुए चेक पोस्ट पर पुलिस वालों को झांसा देते हुए लखीमपुर तक पहुंच गए।
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सीपीआई (एम) की ली मदद-
यहां तक पहुंचने के लिए इन्होंने कॉमर्शियल गाड़ी चुनी, ताकि यह पर्यटक लगें। इस दौरान सीपीआई(एम) के सदस्यों ने इनकी मदद की, जो हर कदम पर उन्हें फोन पर जानकारी दे रहे थे, जैसे कौन सा रास्ता चुनना है व कहां ठहरना है। रात के वक्त वह जर्जर होटल में रुके। पहले उन्होंने एक गुरुद्वारे में ठहरने का मन बनाया था, लेकिन पुलिस की संभावित रेड के डर से फैसला बदल दिया।
पंजाबियों जैसे ड्रेस पहनीं-
अगली सुबह मंगलवार को वे पंजाबियों जैसे कपड़े पहन कर लखीमपुर को निकले। पुलिस ने रास्ते में उनपर शक नहीं किया। उसी दिन उन्होंने मृतक के परिवार संग मुलाकात की।
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