तालाब की पाल स्थित तेजाजी के थानक पर स्वर्ण शृंगार के दर्शन करवाए गए। सुबह ही दर्शन शुरू हो गए। मंदिर समिति के जोधराज सैनी ने बताया कि दोपहर 12 बजे आरती के दौरान पाती चढ़ाई गई। पाती आने पर सर्प दंश से पीडि़तों की डसियां काटी गई। सर्पदंश से पीडि़त करीब 150 की डसियां काटी गई।
ऐसे आती है पाती सैनी ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार दोपहर की आरती के समय तेजाजी महाराज के मस्तक पर नीम की पत्तियों को रखा जाता है। आरती के दौरान ये पत्तियां नीचे आ जाती हैं। इसे पाती आना माना जाता है। पाती आने को माना जाता है कि तेजाजी ने डसी काटने की अनुमति दे दी। कई बार पाती आने में घंटों भी लग जाते हैं। जब तक पाती नहीं आती आरती चलती है। इस बार जल्दी ही पाती आ गई।
101 श्रीफल से शृंगार केशवपुरा स्थित तेजाजी के मंदिर में श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। मंदिर समिति की ओर से नीरज जागा ने बताया कि महावीर जागा के सान्निध्य में फूल माला व 101 श्रीफलों से विशेष शृंगार किया गया। शाम को डसियां काटी गई। घोड़े वाले बाबा चौराहे पर संजय व सुरेश महाराज के सान्निध्य शृंगार कर पूजन किया। क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने दर्शन किया।
नहीं गूंजे गीत कोरोना गाइड लाइन की पालना में गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी थानकों पर मेले नहीं लगे, न ही लोक कलाकारों ने प्रस्तुतियां दी। हर वर्ष दशमी पर जागरण होते है,ं भजन-कीर्तन होते हैं। लोक कलाकारों की मंडलियां तेजाजी गायन करती हैं। मंदिरों के आसपास विशेष दुकानें भी इस वर्ष नहीं सजी