धूमिल होती दिख रही नई रेल परियोजनाओं की उम्मीद

कोटा. राज्य में प्रस्तावित कई नई रेल परियोजनाओं का कार्य राजस्थान सरकार की ओर से आर्थिक मदद नहीं मिलने के कारण आगे नहीं बढ़ पाया। ऐसे में आगामी माह पेश होने वाले आम बजट में इन योजनाओं के लिए राशि मिलने की उम्मीद कोसों दूर है। इसके बाद भी प्रदेश की जनता की आम बजट पर नजरें टिकी हैं।

<p>आम बजट 2020-21 में राशि मिलने की उम्मीद कोसों दूर</p>
कोटा. राज्य में प्रस्तावित कई नई रेल परियोजनाओं का कार्य राजस्थान सरकार की ओर से आर्थिक मदद नहीं मिलने के कारण आगे नहीं बढ़ पाया। ऐसे में आगामी माह पेश होने वाले आम बजट में इन योजनाओं के लिए राशि मिलने की उम्मीद कोसों दूर है। इसके बाद भी प्रदेश की जनता की आम बजट पर नजरें टिकी हैं।
अजमेर से कोटा तक वाया नसीराबाद-जलंधरी होकर 145 किमी योजना अटकी हुई है। इसके लिए सर्वेक्षण कार्य भी स्वीकृत नहीं हो पाया है। गत 20 जनवरी को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की मौजूदगी में कोटा मंडल के अधिकारियों ने अवगत कराया कि निर्माण विभाग ने 9 जनवरी 2020 को इस योजना के लिए सर्वेक्षण स्वीकृत नहीं होने की जानकारी दी है। इसी तरह दीगोद-श्योपुर-शिवपुरी कलां रेल लाइन परियोजना भी आगे नहीं बढ़ पाई।
अजमेर-नसीराबाद-सवाईमाधोपुर-चौथ का बरवाड़ा वाया टोंक होकर प्रस्तावित 165 किमी नई लाइन परियोजना को वर्ष 2015-16 में इस शर्त के साथ स्वीकृत किया गया था कि राजस्थान राज्य सरकार की ओर से परियोजना की अंतिम निर्माण लागत में 50 प्रतिशत भागीदारी रहेगी। इसके साथ ही भूमि भी नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाए। इसके अनुसार केन्द्र ने राज्य सरकार से परियोजना की 50 प्रतिशत लागत का वित्तपोषण करने तथा नि:शुल्क भूमि उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था।
भारतीय रेल तथा राजस्थान सरकार के बीच हुए समझौता ज्ञापन के अनुसार राजस्थान सरकार द्वारा इस परियोजना के लिए न तो अपेक्षित भूमि उपलब्ध कराई और न ही भारतीय रेल के पास अपना हिस्सा जमा कराया। इसके कारण यह योजना अटकी हुई है।
देरी हुई तो बढ़ी लागत
इसी तरह वाया बांसवाड़ा होकर रतलाम-डूंगरपुर के बीच 188.85 किमी नई लाइन परियोजना को वर्ष 2011-12 में इस शर्त के साथ स्वीकृत किया गया था कि राजस्थान राज्य सरकार द्वारा परियोजना की अंतिम निर्माण लागत में 50 प्रतिशत भागीदारी की जाए और नि:शुल्क भूमि प्रदान की जाए। इस परियोजना की अनुमानित लागत 2082.75 करोड़ रुपए थी, जो अब बढ़कर 4079.15 करोड़ रुपए हो गई है।
इस परियोजना के लिए कुल अपेक्षित भूमि 1736 हैक्टेयर है। इसमें से राजस्थान सरकार ने रेलवे को मात्र 646 हैक्टेयर भूमि सौंपी है और इस परियोजना की निर्माण लागत के भाग के रूप में मात्र 200 करोड़ रुपए जमा कराए हैं। राज्य सरकार ने पूरी राशि रेलवे को राशि दी है और न पूरी ही भूमि उपलब्ध कराई है। इस योजना पर 31 मार्च 19 तक 184.31 करोड़ खर्च हो चुके हैं। राजस्थान सरकार की ओर से बरास्ता बांसवाड़ा रतलाम-डुंगरपुर नई रेल लाइन परियोजना वर्ष 2011-12 में स्वीकृत हुई थी। राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से इसे पूरा करने के लिए 18 सितम्बर 2018 और 5 मार्च 2019 के अनुरोध पत्र भेजा था।
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