झालावाड़ जिले में 100 से अधिक अतिकुपोषित बच्चे
कोरोना की तीसरी लहर से पहले सुपोषण से कुपोषण दूर करने के जतन
<p>झालावाड़ जिले में 100 से अधिक अतिकुपोषित बच्चे</p>
झालावाड़. कोरोना की संभावित तीसरी लहर से निपटने के लिए सरकार की ओर से विभिन्न विभागों के माध्यम से कई तरह की तैयारियां की जा रही है। जिले में अभी तक 102 बच्चे अतिकुपोषित चिन्हित किए गए है।वहीं आगे भी जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण स्तर पर निगाह रखने के लिए एक बार फिर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व आशा सहयोगिनियों की मदद ली जाएगी। कार्यकर्ता व आशा घरों पर दस्तक देंगी। घर-घर पहुंचकर बच्चों का वजन लिया जाएगा तथा कुपोषण की स्थिति की जांच की जाएगी। सर्दी, खांसी, बुखार होने पर तत्काल अस्पताल पहुंचाया जाएगा। लेकिन संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए की जा रही यह कवायद कोरोना गाइडलाइन की पालना नहीं होने पर भारी भी पड़ सकती है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व आशा द्वारा बच्चों के स्वास्थ्य व पोषण का सर्वे किया जाएगा। इसके अलावा बच्चों की वृद्धि निगरानी का भी सर्वे किया जाएगा। इस सर्वे रिपोर्ट को बाल विकास परियोजनाओं से जिला स्तर पर तथा जिले से निदेशालय को हर सप्ताह रिपोर्ट भेजी जाएगी।इसमें बच्चों का नाम, पता, माता-पिता का नाम उनके मोबाइल नंबर, पूर्व अस्पताल में भर्ती व डिस्चार्ज होने आदि की सूचना देनी होंगी। बहुत कम वजन व अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की एएनएम से चिकित्सीय जटिलता व भूख की जांच करानी होगी।इस जांच में असफल रहनेवाले बच्चों को पीएचसी, सीएचसी व एमटीसी केन्द्र पर रैफर किया जाएगा। तथा चिकित्सक से परामर्श अनुसार इलाज शुरू कराया जाएगा।चिकित्सकीय जटिलता नहीं होने तथा जांच में सफल रहने वाले बच्चों की घरों पर देखभाल की जाएगी।
पौष्टिक आहार देने के निर्देश
इस दौरान बच्चों को वजन व उम्र के हिसाब से निर्धारित मात्रा में पोषक तत्वयुक्त आहार देने के लिए समझाइश की जाएगी। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र में बीमार होने पर स्थानीय देवता, टोना टोटका, झाडफ़ूंक करने का प्रचलन भी रहता है। इस दौरान कई बार बीमारी बढ़ जाती है।कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चे गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं। इससेबचने के लिए बच्चों को अस्पतला ले जाने की सलाह दी जाएगी। वहीं कोरोना संबंधी लक्षण लगते ही चिकित्सक से परामर्श लेने के लिए अभिभावकों को प्रेरित किया जाएगा।
बरतनी होगी एहतियात
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व आशाए गृह भ्रमण के तहत बच्चों का वजन लेंगी तथा मॉक टेप से उनकी भुजा का माप लेकर कुपोषण की स्थिति की जांच करेंगी।टेप पर दर्ज हरे,पीले व लाल रंग के मुताबिक प्रारूप-पत्र भरेंगी। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क लगाने व हाथों को सैनेटाइज करने को लेकर खास एहतियात बरतनी होगी। संक्रमित बच्चे व उसकी मां आदि के संपर्क में आने से संक्रमण फैल सकता है।