दूसरी लहर से मिली सीख… सिलेण्डरों पर निर्भर नहीं रहेंगे हमारे अस्पताल

कोरोना की दूसरी लहर ने कोटा को काफी सीख दी। इस लहर में ऑक्सीजन की कमी सबसे बड़ी समस्या उभर कर सामने आई। इसी को देखते हुए आगे ऑक्सीजन की कमी नहीं रहे और किसी पर निर्भर नहीं रहे।
 

<p>दूसरी लहर से मिली सीख&#8230; सिलेण्डरों पर निर्भर नहीं रहेंगे हमारे अस्पताल</p>
कोटा. कोरोना की दूसरी लहर ने कोटा को काफी सीख दी। इस लहर में ऑक्सीजन की कमी सबसे बड़ी समस्या उभर कर सामने आई। इसी को देखते हुए आगे ऑक्सीजन की कमी नहीं रहे और किसी पर निर्भर नहीं रहे। इसके लिए आगे की तैयारियां शुरू हो चुकी है, ताकि मरीजों की उखड़ती सांसों पर लगाम लग सके। कोटा मेडिकल कॉलेज के संबद्ध अस्पतालों में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगेंगे। इससे मरीजों को सीधे सेन्ट्रल लाइन से ऑक्सीजन मिल सकेगी और बैकअप सिलेण्डरों से मुक्ति मिल जाएगी यानी पूरा मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पताल ऑक्सीजन प्लांट पर निर्भर हो जाएंगे।
क्योंकि यदि समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलती तो प्रशासन व सरकार के हाथ-पांव फू ल जाते है। मरीजों की सांसे अटकने लगती है। इस परिस्थिति से निपटने के लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के साथ केंद्र और राज्य सरकार भी लगातार काम कर रही है। अगले 2 महीने में यह सभी प्लांट स्थापित हो जाएंगे। दरअसल, अभी 2425 ऑक्सीजन सिलेंडर की खपत मेडिकल कॉलेज अस्पतालों और कोविड-19 केयर सेंटर में हो रही है। जबकि पूरे कोटा जिले की बात की जाए तो 4200 सिलेंडर की खपत हो रही है। जबकि वर्तमान में उत्पादन कम है।
ये नए प्लांट स्थापित होंगे

कोटा मेडिकल कॉलेज में 1370 सिलेंडर क्षमता के 10 प्लांट

2 केंद्र सरकार, 8 राज्य सरकार की ओर से स्वीकृत

1 निजी स्तर पर 1000 ऑक्सीजन क्षमता का बड़ा प्लांट भी शामिल
रेलवे हॉस्पिटल में भी 120 सिलेंडर उत्पादन का प्लांट

राज्य सरकार लगा रही 8 प्लांट, 1100 सिलेंडर क्षमता

राज्य सरकार मेडिकल कॉलेज कोटा के तीनों अस्पतालों में 1100 सिलेंडर प्रतिदिन उत्पादन क्षमता के 7 ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट स्वीकृत कर दिए गए हैं। एमबीएस अस्पताल में 3 प्लांट प्रस्तावित हैं। जिनमें 400 सिलेंडर की क्षमता होगी। इनमें एक 200 सिलेंडर का प्लांट है। वहीं दूसरे दो सौ-सौ सिलेंडर उत्पादन क्षमता के हैं। जेके लोन अस्पताल में 100 सिलेंडर क्षमता का एक प्लांट लगाया जाएगा। वहीं मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल व एसएसबी में 200-200 सिलेंडर क्षमता के दो प्लांट स्थापित होंगे। इसके अलावा 100 सिलेंडर क्षमता का एक प्लांट लगना है।
जेकेलोन व एमबीएस में काम शुरू

एमबीएस अस्पताल में 190 सिलेंडर जनरेशन का प्लांट एनएचएआई और डीआरडीओ लगा रहा है। जेकेलोन में भी यही संस्थाएं 90 सिलेंडर उत्पादन का प्लांट लगा रही हैं। इसके पहले ही मेडिकल कॉलेज कोटा ने कर्नाटक की एक कंपनी को 90 सिलेंडर क्षमता का एक प्लांट लगाने का ऑर्डर दे दिया, जो भी सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में लगाया जाएग। यह काम भी शुरू हो गया। इनके लिए एनएचएआई ने सिविल वर्क शुरू करवा दिया है। जिसका स्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है।
मेडिकल कॉलेज में अभी केवल 460 सिलेंडर जेनरेशन

वर्तमान में मेडिकल कॉलेज कोटा के पास 460 ऑक्सीजन सिलेंडर जनरेशन का प्लांट स्थित है। इनमें नए अस्पताल व एसएसबी में 360 ऑक्सीजन सिलेंडर जेनरेशन क्षमता के तीन प्लांट है। जबकि एमबीएस अस्पताल में 100 सिलेंडर क्षमता का एक प्लांट है। वहीं नए अस्पताल में 20 हजार लीटर लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन स्टोरेज का टैंक भी है।
वर्तमान में जिले की उत्पादन क्षमता 3700

कोटा में 6 निजी ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट हैं। इनमें से 4 एयर सेपरेशन यूनिट है। जबकि दो लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट हैं। इन सबकी 24 घंटे की क्षमता की बात की जाए तो 3700 सिलेंडर के आसपास है। जबकि वर्तमान में कोटा जिले की डिमांड करीब 4200 सिलेंडर से ज्यादा है।
निजी अस्पताल को भी लगाने होंगे ऑक्सीजन प्लांट

राज्य सरकार ने 50 बेड से ज्यादा वाले निजी अस्पतालों को 2 महीने में ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगाने के निर्देश दिए हैं। इसके तहत उन्हें अस्पताल क्षमता के आधे बेड को मेडिकल ऑक्सीजन लाइन से जोडऩा होगा। प्लांट भी उन्हें स्थापित करने होंगे। जिससे भी कोटा के निजी अस्पतालों की ऑक्सीजन मांग कम होगी।
ऑक्सीजन प्लांट्स की बहार आ गई

मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना ने बताया कि कोटा में ऑक्सीजन प्लांट्स की बहार आ गई। तीनों बड़े अस्पतालों में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट्स लगेंगे। यह दो माह में लग जाएंगे। डीआरडीओ व एनएचएआई को एसएसबी और एनएमसीएच में 190-190 व रामपुरा जिला अस्पताल के लिए 150 सिलेंडर जेनरेशन के प्लांट का प्रस्ताव भेजा है। अगर यह मंजूर होते हैं तो इन्हें भी लगा देंगे। पूरा मेडिकल कॉलेज ऑक्सीजन प्लांट्स पर निर्भर हो जाएगा, एक तरह से फिर सिलेण्डरों की जरुरत नहीं रहेगी।
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