मदद करते-करते चले गए बुद्धिप्रकाश जिले के कापरेन थाने के प्रभारी 56 वर्षीय बुद्धिप्रकाश नामा ने कोरोना काल में कभी हिम्मत नहीं हारी। चाहे पैदल चलते राहगीरों को उनके गन्तव्य तक वाहनों से पहुंचाना हों या फि र भूखों के लिए रोटी की व्यवस्था करनी हों। हर जगह जांबाज सिपाही के रूप में नामा डटे दिखाई पड़े। लॉकडाउन के बीच किसी को परेशानी नहीं हो, इसके लिए बाजार को खोलने की ऐसी व्यवस्था की जिसे पूरे जिले के लोगों ने सराहा। नामा लोगों की सेवा करते-करते ही इस महामारी की चपेट में आ गए। उन्हें कोटा मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में भर्ती कराया गया और वहीं अंतिम सांस ली। नामा के निधन पर शनिवार को कापरेन कस्बा बंद रहेगा। मंडी परिसर में शोक सभा होगी।
राष्ट्रपति ने किया था सम्मानित कोटा जिले के खेड़ारसूलपुर के रहने वाले बुद्धिप्रकाश नामा 14 दिसम्बर 1985 को कोटा पुलिस में कांस्टेबल के रूप में भर्ती हुए थे। कार्यकुशलता और पुलिस में पकड़ के चलते उन्हें राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था। नामा बूंदी जिले में डाबी, नमाना थाने में एसएचओ रहे। अभी डेढ़ वर्ष से कापरेन थाने एसएचओ के पद पर तैनात थे। नामा के दो बेटे और एक बेटी है। जिनमें से बेटी दीपिका और बेटे दीपक का विवाह हो चुका।