भामाशाह मंडी: सालाना आय में 6 करोड़ का घाटा

केन्द्र सरकार द्वारा कृषि विपणन व्यापार संवर्धन कानून लागू होने के बाद राजस्थान की मंडियों में मंडी शुल्क आय में करोड़ों रुपए की कमी आई है। इस कानून के लागू होने से भामाशाहमंड़ी व्यापारी मंडी प्रांगण की चारदीवारी के बाहर कृषि जिंसों का व्यवसाय करने लगे हैं। जिसके चलते मंडी शुल्क की आय में भी काफी गिरावट आई है।

<p>भामाशाह मंडी: सालाना आय में 6 करोड़ का घाटा</p>
कोटा. केन्द्र सरकार द्वारा कृषि विपणन व्यापार संवर्धन कानून लागू होने के बाद राजस्थान की मंडियों में मंडी शुल्क आय में करोड़ों रुपए की कमी आई है। इस कानून के लागू होने से भामाशाहमंड़ी व्यापारी मंडी प्रांगण की चारदीवारी के बाहर कृषि जिंसों का व्यवसाय करने लगे हैं। जिसके चलते मंडी शुल्क की आय में भी काफी गिरावट आई है। भामाशाह मंडी में कृषि जिंसों की आवक का दूसरा मुख्य कारण राजस्थान व मध्यप्रदेश में मंडी शुल्क की दरों में भारी अंतर भी एक मुख्य कारण है। भामाशाह कृषि उपज मंडी समिति ने राज्य सरकार को सालाना आय के टारगेट में दस करोड़ की कमी करने के लिए पत्र भी लिखा है।
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कृषि विपणन व्यापार संवर्धन कानून
केन्द्र सरकार ने कृषि विपणन व्यापार संवर्धन कानून 5 मई 2020 में लागू किया गया। इस कानून के तहत व्यापारी किसानों की जिंस मंडी परिसर के बाहर खरीद सकेगा। ऐसी स्थिति में उसे मंडी शुल्क व कृषक कल्याण फीस नहीं चुकानी पड़ेगी। साथ ही व्यापारियों की जिंसों की स्टॉक लिमिट को भी खत्म कर दिया गया।
राज्यों में मंडी शुल्क में भारी अंतर
राजस्थान की मंडियों में मंडी शुल्क 1.60 रुपए तथा कृषक कल्याण फीस 1 रुपया है। जबकि राजस्थान की सीमा से लगे मध्यप्रदेश में 0.50 पैसे मंडी शुल्क व 0.20 पैसे निराश्रित शुल्क वसूला जाता है। चूंकि व्यापारी मंडी शुल्क किसान से ही वसूलता है तो मंडी शुल्क बचाने के लिए सीमा से लगे राजस्थान के किसान जिंसों को मध्यप्रदेश की मंडियों में ले जा रहे हैं।
मंडी शुल्क आय में आई कमी
कृषि विपणन व्यापार संवर्धन कानून लागू होने एवं राजस्थान, मध्यप्रदेश की मंडियों के शुल्क में भारी अंतर के चलते कोटा की भामाशाहमंडी में पिछले एक साल में मंडी शुल्क आय में 6 करोड़ 20 लाख 43 हजार से ज्यादा की कमी आई है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में भामाशाहमंडी में मंडी शुल्क 5204.85 लाख तथा वित्तीय वर्ष 2020-21 में जनवरी तक केवल 4584.42 लाख रुपए मंडी शुल्क प्राप्त हुआ। यानि एक साल में ही मंडी की आय में 6 करोड़ से ज्यादा आय कम प्राप्त हुई।

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