मथुरा की तर्ज पर राजस्थान में घोषित हों तीर्थस्थल

राजस्थान के तीर्थों की सुध लें सरकार
 

<p>मथुरा की तर्ज पर राजस्थान में घोषित हों तीर्थस्थल</p>
के. आर. मुण्डियार
कोटा.

उत्तरप्रदेश सरकार ने हाल ही भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा को तीर्थस्थल घोषित किया है। अब राजस्थान सरकार को भी मथुरा की तर्ज पर प्रदेश के प्रसिद्ध तीर्थों की महिमा बढ़ानी चाहिए। राजस्थान में देश-विदेश के लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़े अन्तरराष्ट्रीय ख्यात तीर्थगुरु पुष्करराज, रुणिचा धाम रामदेवरा, खाटूश्यामजी, नाथद्वारा, सांवलिया सेठ, चारभुजानाथ, बेणेश्वर धाम, कैलादेवी, श्रीमहावीरजी(करौली), चांदखेड़ी (झालावाड़) सहित कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हैं। हर तीर्थ की पवित्रता व धार्मिक महत्ता को बरकरार रखना, श्रद्धालुओं को सुरक्षा व सुविधा देने की जिम्मेदारी सरकार की ही है। साथ ही उन अवांछनीय गतिविधियों को रोके, जो तीर्थ की पवित्रता व मान-मर्यादा के अनुकूल न हो, लेकिन हकीकत में प्रभावी प्रयास कहीं नजर नहीं आ रहे। पेश है कि राजस्थान के प्रमुख तीर्थों की महिमा एवं वर्तमान स्थिति की एक रिपोर्ट …
राजस्थान के तीर्थों की महिमा देश-विदेश तक, लेकिन हालात नहीं है अच्छे
तीर्थगुरु पुष्कर व रूणिचा धाम रामदेवरा सहित अन्य तीर्थों से लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं का है जुड़ाव

तीर्थों पर ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगे, जो तीर्थ की पवित्रता एवं मान-मर्यादा के अनुकूल न हों
पुष्कर : कब बनेगा टैम्पल सिटी
अन्तरराष्ट्रीय ख्यात सतयुगी तीर्थ पुष्करराज की आस्था करोड़ों श्रद्धालुओं से जुड़़ी हैं। यहां जगतपिता ब्रह्मा का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। पुष्करराज को सभी तीर्थों का गुरु माना जाता है। हर साल कार्तिक मास में पौराणिक तीर्थ पुष्कर के सरोवर स्नान में लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं। शक्तिस्वरूपा देवी मां की 51 शक्तिपीठों में से एक मणीबंध शक्तिपीठ पुष्कर में हैं। यहां करीब 500 मंदिर हैं। अन्तरराष्ट्रीय पुष्कर मेले में देश-विदेश से लाखों पर्यटक पहुंचते हैं। तीर्थगुरु की मान-मर्यादा को ठेस पहुंचाने वाली कई गतिविधियां पिछले सालों में हो चुकी हैं, फिर भी इनसे सबक लेते हुए राज्य सरकार तीर्थ की महिमा सुनिश्चित करने के लिए गंभीर नहीं रही। पुष्कर को टैम्पल सिटी बनाने के लिए चुनावी घोषणा हुई थी, लेकिन उस पर अमल नहीं हुआ। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुए संवाद में पुष्कर विधायक सुरेशसिंह रावत ने इस ओर केन्द्र सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था।
रामदेवरा : दो सरकारें बदलीं पैदल पथ अधूरा
सद्भाव व समरसता के प्रतीक रुणिचा धाम के लोकदेवता बाबा रामदेव हर वर्ग के आराध्य हैं। परमाणु परीक्षण से देश को महाशक्ति बनाने वाले पोकरण क्षेत्र के रामदेवरा में हर साल भाद्रपद मास में भरने वाले बाबा के मेले में देश-विदेश से 25 से 30 लाख तक श्रद्धालु शीश नवाने पहुंचते हैं। लाखों श्रद्धालु सैकड़ों किलोमीटर से पैदल चलकर भी यहां मन्नत मांगने आते हैं। पैदल जाने वाले जातरूओं को राहत देने के लिए जोधपुर से रामदेवरा तक पैदल पथ का निर्माण दो सरकार बदलने के बाद भी पूरा नहीं हो सका है।
सांवलिया सेठ : लाखों श्रद्धालुओं की आस्था

शौर्य की धरा मेवाड़ क्षेत्र के चित्तौडगढ़़ जिले के मण्डफिया कस्बे में सांवलियाजी सेठ (भगवान कृष्ण) का मंदिर है। मंदिर का वर्तमान निर्माण अक्षरधाम की तर्ज पर किया गया है। सांवलिया सेठ की मेहर से ही मण्डफिया क्षेत्र का विकास हो रहा है। श्रद्धालु यहां आकर सांवलिया सेठ को अपने कारोबार में पार्टनर बनाने की मन्नत मांगते हैं। हर माह अमावस्या पर मेला भरता है। सालाना प्रमुख उत्सव निर्जला एकादशी, देवशयनी एकादशी, देव उठानी एकादशी व जलझूलनी एकादशी यानी फूल डोल महोत्सव पर शोभायात्रा निकाली जाती है। मुख्य मेला तथा उत्सव जलझूलनी एकादशी का होता है। मेले में राजस्थान ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश, गुजरात आदि प्रांतों से 3 लाख से ज्यादा श्रद्धालु भाग लेने आते हैं।
खाटूश्यामजी : बेहतरीन विकास की दरकार

खाटूश्यामजी के मंदिर की आस्था करोड़ों श्रद्धालुओं से जुड़ी है। श्यामनगरी में फाल्गुन मास के मेले में 30 लाख से अधिक श्रद्धालु आते हैं। हारे के सहारे कहे जाने वाले श्याम बाबा के इस तीर्थ को केन्द्र सरकार की कृष्णा सर्किट योजना से जोड़ा गया, लेकिन श्रेष्ठ तीर्थों की तुलना में बेहतरीन विकास जैसा कुछ नहीं हुआ। वार्षिक मेले के दौरान भीड़ बढऩे पर यहां श्रद्धालुओं को भारी परेशानी से रूबरू होना पड़ता है।
नाथद्वारा : श्रद्धालुओं के आगे व्यवस्था संकरी

यह मंदिर वैष्णव सम्प्रदाय की प्रधान पीठ है। यहां गुजरात, महाराष्ट्र और कई राज्यों से सालाना करीब 18 से 20 लाख श्रद्धालु आते हैं। श्रीनाथजी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण बालरूप में विराजित हैं। जन्माष्टमी, कार्तिक मास, फाल्गुन मास सहित वर्षभर कई मौकों पर उत्सवी आयोजनों की दीर्घ शृंखला चलती है। खास मौकों पर एक ही दिन में 10 से 15 हजार तक श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। नाथद्वारा का विकास तीर्थ की तरह नहीं हो रहा। कई समस्याओं के कारण श्रद्धालु यहां परेशान भी होते हैं।
बेणेश्वर धाम : विकास की बातें कागजों में
सोम, माही व जाखम नदी के त्रिवेणी संगम पर स्थित पौराणिक तीर्थ बेणेश्वर धाम की विशेष ख्याति है। यहां प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा मेले में लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं। इसे आदिवासियों का महाकुंभ भी कहा जाता है। तीर्थ के संगम में डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालु यहां भगवान विष्णु व भगवान शिव के मंदिर में दर्शन करते हैं। मान्यता है कि भगवान विष्णु के अवतार मावजी ने यहां तपस्या की थी। पुराण आदि ग्रंथों में बेणेश्वर तीर्थ का उल्लेख है। दक्षिणी राजस्थान में डूंगरपुर से 75 किलोमीटर दूर आदिवासियों की आस्था का बड़ा केन्द्र होने के बावजूद इसे तीर्थ रूप में विकसित करने के प्रति सरकार का फोकस नहीं है। मास्टर प्लान के जरिए विकास की बातें भी कागजों में ही चल रही।
अब इसलिए जगी नई उम्मीद-
भगवान कृष्ण जन्मभूमि मथुरा को तीर्थस्थल घोषित करने के बाद हाल ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीर्थगुरु पुष्कर के विधायक सुरेशसिंह रावत से संवाद किया तो पुष्कर समेत अन्य प्रसिद्ध धार्मिक शहरों को तीर्थस्थल घोषित करने की उम्मीद मुखर हो गई हैं। विधायक रावत ने पीएम मोदी के समक्ष तीर्थगुरु पुष्कर को टेम्पलसिटी घोषित करने की बात रखी। अब प्रदेश की जनता भी चाहती है कि राज्य सरकार को अब इस दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत है।
प्रयागराज-तिरुपति जैसा हो मैनेजमेंट
प्रदेश के तीर्थों का क्राउड मैनेजमेंट तीर्थराज प्रयागराज व तिरुपति जैसा होना चाहिए। दोनों ही तीर्थ स्थलों का मैंनेजमेंट बेहतरीन है। हर श्रद्धालु यहां आकर धन्य हो जाता है। दो साल पहले प्रयागराज दिव्य कुम्भ में करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ के बावजूद बेहतरीन मैनेजमेंट किया गया।
इनपुट सहयोग :

महावीर भट्ट (पुष्कर), नन्दकिशोर सारस्वत (जोधपुर), प्रमोद स्वामी (सीकर), जितेन्द्र पालीवाल (राजसमंद), भगवान तिवारी (सांवलिया सेठ), वरूण भट्ट (बांसवाड़ा)

Kanaram Mundiyar

चिकित्सा-शिक्षा, राजनीति, शहरी ढांचागत विकास व आमजन के मुद्दों पर खोजपूर्ण खबरों में खास रूचि। 24 साल से प्रिन्ट, डिजिटल व टीवी पत्रकारिता में समान रूप से सक्रिय। माणक अलंकरण, पंडित झाबरमल्ल स्मृति, वीर दुर्गादास राठौड़ पत्रकारिता पुरस्कार एवं दक्षिण एशियाई लाडली मीडिया अवार्ड से पुरस्कृत। ब्यावर, अजमेर, नागौर, जोधपुर, कोटा व भीलवाड़ा में काम किया। वर्तमान में जयपुर मुख्यालय में समाचार सम्पादक पद पर कार्यरत।

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