रात के 12 बजे मनाते हैं जन्‍मदिन और शादी की सालगिरह तो पहले जान लें ये बातें

खुशियों के बजाए समस्‍याएं पैदा न हो जाये

<p>रात के 12 बजे मनाते हैं जन्‍मदिन और शादी की सालगिरह तो पहले जान लें ये बातें</p>
कोटा . आज के के दौर में एक अजीब सी प्रथा चल पड़ी है। वह है, रात को 12 बजे शुभकामनाएं देने और जन्मदिन मनाने की। लेकिन भारतीय शास्त्र इसे गलत मानता है। वास्तव में ऐसा करने से कितना बड़ा अनिष्ट हो सकता है।
छह किमी की वॉक ओ रन में धावक हो सकेंगे सीधे शामिल,30 नवंबर तक बढ़ी तारीख,ऐसे कराएं रजिस्ट्रेशन

किसी का बर्थडे हो, शादी की सालगिरह हो या फिर कोई और अवसर क्यों ना हो, रात के 12 बजे केक काटना नया ट्रेंड बन गया है। लेकिन ऐसा करने से आपके जीवन में खुशियों के बजाए समस्‍याएं पैदा हो सकती हैं
शुभ नहीं माना जाता है यह समय
लोगों में रात 12 बजे केक काटने को लेकर खासा उत्‍साह रहता है। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग अपना जन्मदिन 12 बजे यानी निशीथकाल में मनाते हैं। निशीथ काल रात्रि का वह समय है जो समान्यत: रात 12 बजे से रात्रि 3 बजे की बीच होता है। आम लोग इसे मध्यरात्रि या अर्ध रात्रि काल कहते हैं। शुभ कार्यों के लिए यह समय शुभ नहीं माना जाता है।
बुरी शक्तियां हो जाती हैं सक्रि य

शास्त्रों के अनुसार अर्द्धरात्रि के वक्‍त धरती पर बुरी शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं। इस समय में यह शक्ति अत्यधिक रूप से प्रबल हो जाती हैं। हम जहां रहते हैं वहां कई ऐसी शक्तियां होती हैं, जो हमें दिखाई नहीं देतीं, किंतु हम पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं, जिससे हमारा जीवन अस्त-व्यस्त हो उठता है और हम दिशाहीन हो जाते है।
इस वक्‍त केक काटने पर होगा यह नुकसान जन्मदिन की पार्टी में अक्सर लोग प्रेतकाल में केक काटकर सेवन करते हैं। ऐसा करने से अदृश्य शक्तियां व्यक्ति की आयु व भाग्य में कमी करती हैं और दुर्भाग्य उसके द्वार पर दस्तक देता है। ये नकारात्‍मक शक्तियां व्‍यक्ति को गंभीर रूप से बीमार भी बना सकती है।
इन खास मौकों पर निशीथ काल होता है शुभशास्‍त्रों के अनुसार कुछ विशेष त्‍योहारों जैसे दीपावली, नवरात्रि, जन्माष्टमी व शिवरात्रि पर निशीथ काल महानिशीथ काल बनकर शुभ प्रभाव देता है जबकि अन्य समय में दूषित प्रभाव देता है। रात में केक काटने या फिर इस प्रकार की अन्‍य गतिविधियों से ये दूषित प्रभाव आप भी बुरा असर डाल सकते हैं।

सूर्योदय का समय सबसे शुभ
ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया की दिन की शुरुआत सूर्योदय के साथ ही होती है और यही समय ऋषि-मुनियों के तप का भी होता है। इसलिए इस काल में वातावरण शुद्ध और नकारात्मकता विहीन होता है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार सूर्योदय होने के बाद ही व्यक्ति को बर्थडे विश करना चाहिए क्योंकि रात के समय वातावरण में रज और तम कणों की मात्रा अत्यधिक होती है और उस समय दी गई बधाई या शुभकामनाएं फलदायी ना होकर प्रतिकूल बन जाती हैं।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.