मनमाना किराया वसूलकर बेबसी का फायदा उठा रहे एम्बुलैंस संचालक

_ जहां पहले 500 रुपए लेते थे किराया, अब वसूल रहे हैं 1000 से 1500 रुपए_ जयपुर समेत अन्य शहर में दरें तय की, लेकिन झालावाड़ प्रशासन सुस्त

<p>मनमाना किराया वसूलकर बेबसी का फायदा उठा रहे एम्बुलैंस संचालक</p>
झालावाड़. कोरोना काल में एक तरफ लोग महामारी से जूझ रहे है, वहीं दूसरी ओर कई एम्बुलेंस कर्मी मरीजों से मनमर्जी का किराया वसूल रहे हैं। मरीजों से किस हिसाब से पैसा लिया जा रहा है इसका कोई गणित नहीं है। एसआरजी चिकित्सालय से झालरापाटन के ही 1000 से 1500 रुपए तक लिए जा रहे हैं, जबकि पहले 500 रुपए लिए जा रहे थे। सूत्रों ने बताया कि ऑक्सीजन नहीं मिलने से ब्लैक से लाने के चलते अधिक रेट लें रहे हैं। राजस्थान पत्रिका की टीम ने एसआरजी अस्पताल के बाहर मिलने वाली एम्बुलेंस संचालकों से बात की तो कई जगहों का किराया सामान्य दिनों की बजाए ज्यादा लिया जाने सामने आया है। यह स्थिति तब है जब राज्य सरकार एम्बुलेंस किराए की नीति लागू कर चुकी है। एसआरजी चिकित्सालय में कोरोना पॉजिटिव डेथ प्रतिदिन करीब 7-8 हो रही है। वहीं संदिग्ध व नेगेटिव डेथ को मिलाकर 25-30 मौत हो जाती है। ऐसे में एसआरजी चिकित्सालय में एक तो नगर परिषद द्वारा व एक अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा उपलब्ध करवाए गई एम्बुलेंस है। ऐसे में डेड बॉडी को मृतक के गांव तक ले जाने में परिजनों को खासा इंतजार करना पड़ रहा है। ऐसे में परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो जाता है। पहले 10 किमी तक 500 रुपए जिसमें आना-जाना शामिल है। 10 किमी के बाद गाडिय़ों के हिसाब से 3 श्रेणियोंं का किराया निर्धारण किया गया है, जिसमें 12.50 रूपए, 14.50 और 17.50 रूपए प्रति किमी तय कर रखा है। कोटा के चार हजार रूपए तक किराया
पत्रिका टीम ने एक एम्बुलेंस संचालक से कोटा मरीज को ले जाने की बात की तो झालावाड़ से कोटा के 2500 रुपए बताए। ऑक्सीजन के साथ लेकर जाना है तो 3500 रुपए बताए है। वहीं धुलाई के अलग से देने की बात कही। गाड़ी एक ही जल्दी बता देना अगर ले जाना हो तो। जबकि इससे पहले से कोटा तक मरीज को 1500 से 2 हजार के बीच में ले जा रहे थे। अब कोरोना काल में ज्यादा पैसे लिए जा रहे हैं। एसआरजी चिकित्सालय में भर्ती सोयत के निकट गांव दांताखेडी के मरीज के परिजन लालसिंह ने बताया कि उसके पिता कोरोना पॉजिटिव होने से भर्ती थे। इलाज के दौरान मौत हो गई, लेकिन एम्बुलेंस के लिए बहुत लंबा इंतजार करना पड़ा ऐसे में संक्रमित के साथ लंबे समय तक रहने से दूसरों के भी संक्रमित होने का खतरा रहता है।
– हमारे पास एम्बुलेंस की कमी है, डेड बॉडी 100 से 150 किमी तक दूर जा रही है। ऐसे में उसे आने में समय लग रहा है। स्वयं सेवी संस्थाओं से बात चल रही है। एम्बुलेंस वाले मरीजों व डेड बॉडी वालों से ज्यादा पैसे ले रहे हैं तो ये गलत है उन्हे पाबंद करेंगे। हम इन्हें पीपीई कीट दे देंगे। मरीज से इसके नाम पर ज्यादा पैसे नहीं लें। डॉ.संजय पोरवाल, अधीक्षक, एसआरजी चिकित्सालय, झालावाड़
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