हरी खाद रामबाण
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या के निवारण के लिए हरी खाद का उपयोग रामबाण है। हरी खाद के रूप में ठेंचा का प्रयोग सर्वोत्तम है, इसके उपयोग से पौधों के लिए आवश्यक समस्त पोषक तत्व की आपूर्ति के साथ जमीन की नमी सोखने की क्षमता बढ़ती है। ठेंचा का पौधा सडऩे के बाद कार्बनिक अम्ल पैदा करता है, जिससे लवणीय एवं क्षारीय भूमि उपजाऊ बनती है। मिट्टी में वायु का संचार बढ़ता है एवं सूक्ष्म जीवों की वृद्धि होती है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या के निवारण के लिए हरी खाद का उपयोग रामबाण है। हरी खाद के रूप में ठेंचा का प्रयोग सर्वोत्तम है, इसके उपयोग से पौधों के लिए आवश्यक समस्त पोषक तत्व की आपूर्ति के साथ जमीन की नमी सोखने की क्षमता बढ़ती है। ठेंचा का पौधा सडऩे के बाद कार्बनिक अम्ल पैदा करता है, जिससे लवणीय एवं क्षारीय भूमि उपजाऊ बनती है। मिट्टी में वायु का संचार बढ़ता है एवं सूक्ष्म जीवों की वृद्धि होती है।
Read more : कोटा में हादसा : तेज रफ्तार ने बाइक सवार की छीन ली जिन्दगी… ये है बुवाई का फार्मूला राजस्थान राज्य बीज निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक आर.के. जैन ने बताया कि ठेंचा की बुवाई जुलाई माह में की जा सकती है। जिन खेतों में पानी भरने की समस्या रहती है, उनमें भी इसकी बुवाई की जा सकती है। इसकी बुवाई खेत की अच्छी जुताई के बाद छिड़काव या बीज मशीन से की जा सकती है। ठेंचा फसल के पौधे मुलायम होने की अवस्था में बुवाई के 45-50 दिन पर मशीन चलाकर जमीन पलट देना चाहिए। एक सप्ताह बाद पुन: मशीन चला देना चाहिए।
यहां से ले सकते बीज किसान इसका बीज कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र एवं राजस्थान राज्य बीज निगम से ले सकते हैं।