किसानों के लिए एडवाइजरी जारी : बताएंगे कैसे उपजाऊ जमीन तैयार कर सकेंगे

अंधाधुंध रासायनिक उर्वरक के उपयोग से बंजर हो रही धरती

<p>किसानों के लिए एडवाइजरी जारी </p>
कोटा. किसान अधिक उत्पादन लेने के लिए अंधाधुंध तरीके से रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करते हैं। इससे पौधों को आवश्यक 16 पोषक तत्वों की आपूर्ति नहीं हो रही। साथ ही, मिट्टी की भौतिक संरचना एवं लवणीय क्षारीयता की समस्या बढ़ती जा रही है। इस कारण प्रतिवर्ष फसलों की प्रति हैक्टेयर उपज घटती जा रही है। जो किसानों के चिंता का विषय बन रहा है। किसानों के खेत के खेत बंजर हो रहे हैं। कोटा संभाग में 1.66 लाख तथा प्रदेशभर में किसानों के 68 लाख सोशल हैल्थ कार्ड बनाए गए थे। सोशल हैल्थ कार्ड के विश्लेषण की रिपोर्ट में सामने आया कि अत्यधिक मात्रा में रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करने से जमीन की उर्वरक क्षमता घट रही है। इस कारण उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है। किसानों को ऐसा फार्मूला बताया गया है कि खुद ही जमीन की उर्वरक क्षमता बढ़कर अधिक उत्पादन ले सकेंगे।
हरी खाद रामबाण
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि इस समस्या के निवारण के लिए हरी खाद का उपयोग रामबाण है। हरी खाद के रूप में ठेंचा का प्रयोग सर्वोत्तम है, इसके उपयोग से पौधों के लिए आवश्यक समस्त पोषक तत्व की आपूर्ति के साथ जमीन की नमी सोखने की क्षमता बढ़ती है। ठेंचा का पौधा सडऩे के बाद कार्बनिक अम्ल पैदा करता है, जिससे लवणीय एवं क्षारीय भूमि उपजाऊ बनती है। मिट्टी में वायु का संचार बढ़ता है एवं सूक्ष्म जीवों की वृद्धि होती है।
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ये है बुवाई का फार्मूला

राजस्थान राज्य बीज निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक आर.के. जैन ने बताया कि ठेंचा की बुवाई जुलाई माह में की जा सकती है। जिन खेतों में पानी भरने की समस्या रहती है, उनमें भी इसकी बुवाई की जा सकती है। इसकी बुवाई खेत की अच्छी जुताई के बाद छिड़काव या बीज मशीन से की जा सकती है। ठेंचा फसल के पौधे मुलायम होने की अवस्था में बुवाई के 45-50 दिन पर मशीन चलाकर जमीन पलट देना चाहिए। एक सप्ताह बाद पुन: मशीन चला देना चाहिए।
यहां से ले सकते बीज

किसान इसका बीज कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र एवं राजस्थान राज्य बीज निगम से ले सकते हैं।

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