कोंडागांव

यहां देवी देवताओं के बीच खेली जाती है धुरनी होली, आर्शीवाद लेने व दूर-दूर से लोग खेलने आते हैं होली

होली के बाद पढऩे वाले पहले शनिवार हो देवगुड़ी परिसर होता है यह विधान

कोंडागांवMar 17, 2020 / 01:49 pm

Badal Dewangan

यहां देवी देवताओं के बीच खेली जाती है धुरनी होली, आर्शीवाद लेने व दूर-दूर से लोग खेलने आते हैं होली

कोण्डागांव. वैसे तो बस्तर अपनी संस्कृति और परंपरा के लिए विश्वविख्यात है। यहॉ अनेक अवसरों पर होने वाली रिति-रिवाज व विधानों के साथ विभिन्न तरह के आयोजन सालभर चलते रहते है। ऐसा ही एक मौका होली के बाद पडऩे वाला पहले शनिवार को जिला मुख्यालय से तकरीबन 12 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत लंजोड़ा के बाजार में देखने के मिला।

पारंपरिक साज-सज्जा के साथ यहॉ पहुंच विधि-विधान के साथ होली खेलते
जिसे स्थानीय लोग धुरनी होली के नाम से जानते है। जानकारी के मुताबिक होली पर्व के बाद पडऩे वाले पहले शनिवार को आसपास के देवी.देवतां इस बाजार परिसर में विशेषरूप से आंमत्रित होते है। इस धुरनी बाजार व होली पर देवी-देवता अपने पूरे पारंमपरिक साज-सज्जा के साथ यहॉ पहुंच विधि-विधान के साथ होली खेलते है।

परिसर की परिक्रमा के साथ ही इस आयेजन का समापन
इस धुरनी होली को देखने और इस आयोजन में शामिल होने लोग दूर.दूर से भी आते है। और देवताओं के साथ होली खेलते हुए उनका आशीर्वाद लेते है। इसे देवताओं का होली मिलन भी कहा जाता है यह पूरा विधान देवगुड़ी परिसर में आयोजित होता है। वही देवताओं के बाजार परिसर की परिक्रमा के साथ ही इस आयेजन का समापन होता है।

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