पारंपरिक साज-सज्जा के साथ यहॉ पहुंच विधि-विधान के साथ होली खेलते
जिसे स्थानीय लोग धुरनी होली के नाम से जानते है। जानकारी के मुताबिक होली पर्व के बाद पडऩे वाले पहले शनिवार को आसपास के देवी.देवतां इस बाजार परिसर में विशेषरूप से आंमत्रित होते है। इस धुरनी बाजार व होली पर देवी-देवता अपने पूरे पारंमपरिक साज-सज्जा के साथ यहॉ पहुंच विधि-विधान के साथ होली खेलते है।
परिसर की परिक्रमा के साथ ही इस आयेजन का समापन
इस धुरनी होली को देखने और इस आयोजन में शामिल होने लोग दूर.दूर से भी आते है। और देवताओं के साथ होली खेलते हुए उनका आशीर्वाद लेते है। इसे देवताओं का होली मिलन भी कहा जाता है यह पूरा विधान देवगुड़ी परिसर में आयोजित होता है। वही देवताओं के बाजार परिसर की परिक्रमा के साथ ही इस आयेजन का समापन होता है।