धड़ाधड़ संदेश कर रहे भ्रमित, सोशल मीडिया पर अंकुश जरूरी

– लोग बोले, न करें सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल

<p>धड़ाधड़ संदेश कर रहे भ्रमित, सोशल मीडिया पर अंकुश जरूरी</p>

 

 

कोलकाता. सोशल मीडिया एक अच्छा और सशक्त माध्यम है। इसमें आए कोई भी संदेश को पढ़कर आंखें मूंदकर आगे नहीं बढ़ाना चाहिए जब तक कि वो सही है या नहीं? उसकी पुष्टि न हो। आमतौर पर ऐसे संदेश साधारण लोगों को भ्रमित करते हैं तो इसे अपराध की श्रेणी में ही रखना चाहिए। महानगर के लोगों ने ऐसे भ्रामक संदेशों पर अंकुश लगाने की सलाह दी है, पेश से उनसे बातचीत के मुख्य अंश।

स्वास्थ्य संबंधित या फिर किसी भी समाज से जुड़ी बातों को लेकर भ्रान्ति फैलाने वाले संदेशों पर रोक होनी ही चाहिए। कई बार सोशल मीडिया में अभिनेता दिलीप कुमार के निधन की खबर दी तो कई बार देश को लेकर भी कई मनगढ़न्त खबरें सोशल मीडिया में वायरल हुईं। स्वास्थ्य से जुड़ी बातों पर तभी यकीन करें जब केन्द्र या राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई निदेर्शिका जारी की गई है। नहीं तो कुछ भी करने से पहले अपने ही डॉक्टर से सलाह ले कर उसकी सच्चाई को जांच लें उसके बाद ही उस पर यकीन करें।
– रेखा पण्डित, बेहला

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आज लगभग सभी के हाथों में मोबाइल है और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ लोग मीडिया में सर्कुलेट होने वाले संदेश को सच मानकर उसे आगे बढ़ाते हैं और उस पर अमल भी करते हैं। खासकर के स्वास्थ्य से जुड़े संदेश को देखकर लगता है कि देश का हर दूसरा व्यक्ति बड़ा चिकित्सक है। सभी से अपील है कि ऐसे संवेदनशील मामले को हल्के में लेकर लोगों को भ्रमित न करें। जब तक किसी संदेश को लेकर पुष्टि न हो तब तक न ही उस पर यकीन करें और न ही किसी दूसरे को फॉरवर्ड ही करें।

रवि सिकरिया, सचिव, सीकर नागरिक परिषद (कोलकाता)
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सोशल मीडिया का जिस तरह से इस्तेमाल हो रहा है वह काफी हल्के में लिया जा रहा है। सभी देश के नागरिक होने के नाते सभी का कर्तव्य है कि वे न खुद भ्रमित हों और न दूसरो को भ्रमित करें। ऐसा करने वाले शायद यह नहीं समझ पाते कि इसका कितना बड़ा नुकसान हो सकता है। बेहतर है कि समझदारी पूर्वक सोशल मीडिया का इस्तेमाल करें।
वन्दना मिश्रा, साल्टलेक

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तंग आ गया हूं उल्टे-पुल्टे संदेशों से। रोजाना स्वास्थ्य से संबंधित दो सौ से अधिक संदेश आते हैं। कोरोना को लेकर तो जिस तरह का उपयोग सोशल मीडिया का किया गया है व निन्दनीय है अपराध है। अंकुश लगाया जाना ही चाहिए। हथियार की तरह सोशल मीडिया का इस्तेमाल हो रहा है ऐसे में जरूर देखना चाहिए कि उस हथियार से किसी का गला तो नहीं कट रहा है या देश व जन मानस को अहित तो नहीं पहुंच रहा है।

बृज कुमार बल्देवा, उपाध्यक्ष, कोलकता प्रदेश महेश्वरी सभा
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इसको लेकर भी जागरूकता का अभाव है। हर व्यक्ति उसका उपयोग तो कर रहा है पर समझ नहीं पा रहा है कि उसको किस तरह से उपयोग किया जाना चाहिए। राजनीतिक पार्टी के मैसेज के अतिरिक्त कई तरह के गलत मैसेज को सर्कुलेट करना गलत है। आपको खुद अपना दिमाग लगाकर सोचना होगा कि किसी मैसेज को बिना पुष्टि किए आगे नहीं भेजना है। इतना तो किया ही जा सकता है।
– दीपक कुमार सिंह, शिक्षक, खन्ना हाई स्कूल

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