किशनगढ़ की पहाडिय़ों में छिपा है हिंसक भालु
रात होने पर ग्रामीण देते है पहरा, कुछ दिन पहले भी घुमता दिखा था भालुतीन बकरियों का भी किया था शिकारवनकर्मियों को भी निगरानी के लिए किया अल्र्ट
<p>किशनगढ़ की पहाडिय़ों में छिपा है हिंसक भालु</p>
मदनगंज-किशनगढ़.
किशनगढ़ रेंज के बड़ामाला वन खंड और गांव ढाणी पुरोहितान की सरहद में भालु के नजर आने से ग्रामीण दहशत में है। रात होने पर ग्रामीण समूहक में इन दिनों पहरा भी देने लगे है। ताकि भालु किसी पर हमला ना कर दे। वहीं वन विभाग ने क्षेत्र में वन कर्मियों को निगरानी के लिए अल्र्ट किया गया है। इससे पहले भी यह भालु क्षेत्र के पहाड़ी क्षेत्रों में घुमता देखा गया था। ऐसे में वन विभाग ने भी अब इस क्षेत्र में भालु होने की पुष्टि कर दी है और क्षेत्र के आबादी क्षेत्र में रहने वाले सभी ग्रामीणों को सर्तक रहने के लिए कहा गया है।
गांव ढाणी पुरोहितान निवासी छोटूसिंह रावत ने बताया कि वन खंड क्षेत्र से सटा उसका खेत है और खेत में इन दिनों प्याज की फसल बोई हुई है। छोटूसिंह एवं कचरूमल परसोसा ने बताया कि 21 सितम्बर की रात को भालु ने उनके खेत में प्रवेश किया और बाड़ एवं क्यारियों को भी तोड़ दिया था। फसलों की पिलाई करने के कारण खेतों में ठंडक थी और यह वजह है कि भालु ठंडक के कारण खेत में रहा। भालु के मिले पद चिन्हों के आधार पर वह संभवत: यहां पर आधे से एक घंटे रहा और प्याज की फसल को भी नुकसान किया। जब वह हमेशा की भांति 22 सितम्बर को सुबह खेत पर काम करने गया तो उन्हें यहां पर क्यारियां और बाड़ टूटी हुई मिली और प्याज की फसल भी खराब की गई मिली। हिंसक जानवर के पद चिन्ह और शरीर के घसीटसने के निशान देख कर उन्होंने क्षेत्रीय वन अधिकारी नरेंद्र चौधरी को इसकी सूचना दी। सूचना पर पहुंचे क्षेत्रीय वन अधिकारी चौधरी ने पद चिन्ह भालु के होने की पुष्टि की।
करीब 20 दिन पहले भी दिखा था यहां भालु
छोटूसिंह रावत ने बताया कि बुबानी गांव की फूलीदेवी नाम की महिला ने बड़ा माला वन क्षेत्र की पाटलिया पहाड़ी के पास भालु को घुमते हुए देखा था। इस वक्त भालु ने 3 बकरियों पर हमला कर उन्हें मार भी दिया था। सूचना पर वनकर्मी भी आए थे लेकिन कोई अन्य हिंसक जानवर होने की आशंका जताई गई थी और क्षेत्र के लोगों को सतर्क करने की हिदायत भी दी गई थी।
15 सालों में पहली बार दिखा भालु
क्षेत्रीय वन अधिकारी चौधरी ने बताया कि पिछले कुुछ समय से किशनगढ़ के आसपास के क्षेत्रों में वन्यजीवों के आबादी क्षेत्रों के पास आने की घटनाएं सामने आ रही है। वहीं करीब एक दशक से ज्यादा यानि की 15 सालों में यह पहला मौका है कि जब क्षेत्र में भालु का मूवमेंट देखा गया। यह अनुमान है कि संभवत: भालु संख्या में दो है। नर व मादा भालु जोड़े से साथ रहते है और यह अक्सर रात के समय ही एक स्थान से दूसरे स्थान के लिए मूवमेंट करते है।
आमना सामना होने पर ही करता है हमला
क्षेत्रीय वन अधिकारी चौधरी ने बताया कि भालु ज्यादातर समय शाकाहारी ही होता है। लेकिन वह हिंसक भी होता है। भुखा होने पर वह मांस भी खा जाता है। अक्सर भालु हमला नहीं करता। लेकिन यदि उसके रास्ते में उसका आमना सामना हो जाए तो वह हमला भी कर देता है। पैंथर से ज्यादा भालु को पकडऩे में दिक्कत आती है और इसे रेस्क्यू करने के लिए ट्राईगुलाइज ही करना पड़ता है। यदि जरुरत होती है तो जयपुर से विशेषज्ञ टीम को ही बुलाना पड़ता है। स्थानीय स्तर पर ऐसी कोई सुविधा मुहिया नहीं कराई गई है।