पहले सीखा हुनर, फिर ट्रेनर बन नौकरी पाई

मगन कंवर ने पति के साथ कंधे से कंधा मिला कर की कमाई और बच्चों को पढ़ाया भीदेश और विदेशी महिलाओं को सीखा रही सौलर उपकरण बनना और रख रखाव करना

<p>पहले सीखा हुनर, फिर ट्रेनर बन नौकरी पाई</p>
कालीचरण
मदनगंज-किशनगढ़.
यदि में कुछ सीखने के लिए सच्ची लगन और मेहनत की जाए तो जीवन में कोई भी काम मुश्किल नहीं होता। यह कहावत सच की है नसीराबाद की मगन कंवर ने। केवल साक्षर होने के बावजूद मगन कंवर ने हिम्मत नहीं हारी और सौजर उपकरण बनाने का हुनर सीखा और अब वह खुद देश के साथ विदेशी महिलाओं को सौलर उपकरण तैयार और मरम्मत समेत देखभाल करने का प्रशिक्षण दे रही है। प्रशिक्षण देने की एवज में मिलने वाली मासिक तनख्वाह से वह पति के साथ कंधे से कंधा मिला कर परिवार चला रही है। तिलोनिया के वेयरफुट कॉलेज में पति के साथ काम कर वह ना केवल परिवार का खर्च चला रही है, बल्कि पुत्र और पुत्री की अच्छी पढ़ाई भी कराई। पुत्री की सरकारी नौकरी लग गई और पुत्र फिलहाल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटा है।
नसीराबाद के पास बावड़ी गांव निवासी मगन कंवर ने बताया कि उनके पति भंवरसिंह वेयरफुट कॉलेज में शुरुआती समय में मैस में इंचार्ज के पद (अब पदोन्नत हो चुके) पर काम करते थे। शादी के कुछ समय बाद वह भी पति के साथ यहां तिलोनिया आ गई। घर खर्च में पति का हाथ बंटाने और परिवार के लिए कुछ बचत करने की मन में सोच कर मगन कंवर ने शुरुआती दिनों में घर पर ही सिलाई, हैंडीक्राफ्ट आईटम बनाने का काम शुरू किया। प्रति नग के अनुसार मगन कंवर को मेहनताना मिलने लगा। यह काम भी कॉलेज की ओर से ही दिया जाता था। वह बताती है कि इस कमाई से उनका हौंसला बढ़ा। आखिरकार एक दिन वह पति भंवरसिंह के साथ कॉलेज आई और यहां पर महिलाओं को सौलर उपकरण बनाते और बनाना सीखते हुए देखा। फिर क्या मगन कंवर ने भी उसी वक्त ठान लिया कि वह भी सौलर उपकरण बनाना सीखेगी। कुछ ही दिनों में खुद ने वर्ष 2004 में प्रशिक्षण के लिए नाम रजिस्ट्रेशन करवा लिया और शुरू कर दिया उपकरण बनाना सीखना। छ:ह महीनें का नि:शुल्क प्रशिक्षण पूरा हो गया और इस दौरान भी कॉलेज की ओर से मानदेय भी दिया गया। प्रशिक्षण के बाद मगन कंवर को कॉलेज में ही देश और विदेशी महिलाओं को सौलर उपकरण बनाने के ट्रेनर के रूप में काम भी मिल गया। अब महिलाओं को सीखाने की एवज में उन्हें मासिक वेतन भी मिलने लगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2004 में छ:ह महीने के प्रशिक्षण के बाद लगातार कॉलेज में ही ट्रेनर के रूप में काम कर रही है। नियमित अंतराल में अब वेतन में भी बढ़ोत्तरी हुई।
देश और विदेश भी घुमने का मिला मौका
मगन कंवर ने बताया कि 50 से 60 महिलाओं के समूह को प्रतिदिन प्रशिक्षण देती है। इनमें देश के साथ विदेशी महिलाएं भी शामिल रहती है। वह सौलर उपकरण बनाने और मरम्मत के साथ देखभाल करने का प्रशिक्षण देने के लिए भूटान, तंजानिया और सेनीगन के साथ ही देश में पूना मुम्बई, बाड़मेर और उड़ीसा भी जा चुकी है।
बेटी को मिली सरकारी नौकरी
पति और पत्नी दोनों ने मिलकर घर खर्च और पुत्र जितेंद्रसिंह और पुत्री दुर्गेश कंवर की पढाई भी करवाई। दुर्गेश की भी सरकारी नौकरी लग गई और बालिग होने पर दुर्गेश के भी हाथ पीले कर दिए।
पीएम मोदी ने पूछा कि आप कैसे करती है काम
सौलर ट्रेनर मगन कंवर ने बताया कि वर्ष 2016 में तंजानिया में महिलाओं के आत्मनिर्भर बनाने को लेकर एक वर्कशॉप में भी शामिल हुई। यहां पर भारत से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आए। वर्कशॉप के दौरान पीएम मोदी ने उनसे करीब 10 मिनट बात की और देश और विदेश की अशिक्षित महिलाओं को सौलर उपकरण बनाने की विधि के बारे में पूछा। मोदी ने मगन कंवर ने प्रशिक्षण के दौरान आने वाली समस्याओं, महिलाओं के सीखने के बाद गांवों में किए वाले वाले काम के तरीकों और अशिक्षित और विदेशी महिलाओं को प्रशिक्षण देने के दौरान भाषा संबंधित परेशानियों के बारे में भी सवाल पूछे। पीएम मोदी के पूछे गए सवालों पर मगन कंवर ने ही जवाब दिए। अंत में मोदी ने मगन कंवर के काम की सराहना की और भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी दी।मिल चुका है महिला शक्ति पुरस्कार
महिलाओं उत्थान के लिए लम्बे समय से काम करने पर वर्ष 2016 में ही मगन कंवर को जयपुर में महिला शक्ति पुरस्कार भी मिल चुका है। देश और विदेश की अशिक्षित और गरीब तबके की 600 से ज्यादा महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्म निर्भर बनने में मदद करने पर मगन कंवर इस पुरस्कार के लिए चयनित हुई। इस पुरस्कार के लिए प्रदेश से मगन कंवर एकमात्र महिला चयनित हुई थी।
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