ठेठ गांव में रहने वाली महिलाओं ने ऐसा किया कमाल कि उनका हुनर देख पुरुष भी रह गए दंग

नारी शक्ति….27 महिलाओं ने सीखा जैविक खाद बनाने का हुनर, 60 दिन में तैयार की 160 क्विंटल खाद, बनी आत्मनिर्भर-राष्ट्रीय अजीविका मिशन के सहयोग से तैयार करने लगी जैविक खाद, 27 वर्मी कंपोस्ट पीट तैयार किए, 6 से 8 रुपए प्रति किलो में बेची खाद

<p>खरगोन. महिलाओं ने अपने दम पर तैयार की जैविक खाद।</p>
खरगोन.
क्षेत्र शिक्षा का हो या खेती-किसानी का। महिलाएं भी पुरुषों से कम नहीं। इस बात को फिर से सार्थक कर दिखाया है लोनारा की महिलाओं ने। यहां की २७ महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया और जैविक खाद बनाने का हुनर सीख कर ६० दिन में १६० क्विंटल खाद तैयार कर दी। इस खाद को बेचकर महिलाओं ने खुद के लिए आय का स्त्रोत शुरू कर दिया है।
राष्ट्रीय आजिविका मिशन से जुड़ी ग्राम लोनारा की महिलाओं ने जैविक खाद का महत्व समझा और वे इसके उत्पादन के बाद अच्छा मुनाफा लेने लगी है। लोनारा की स्वसहायता समूह की 27 महिलाओं ने पहले कृषि विभाग के अधिकारियों से जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण लिया। उसके बाद स्वयं ने इसका निर्माण शुरू कर दिया। इसके लिए उन्हें आजिविका मिशन खरगोन के माध्यम से भी प्रशिक्षण दिया गया और मनरेगा के तहत 14500 प्रति इकाई की लागत से 27 वर्मी कंपोष्ट पीट तैयार किए गए। धीरे-धीरे महिलाओं ने इस कंपोष्ट पीट से उपजाउ जैविक खाद तैयार करने लगी। अब उससे अच्छा उत्पादन होने लगा है। इन महिलाओं ने 60 दिन में 160 क्विंटल जैविक खाद तैयार कर ली। अब इस खाद का उपयोग भी स्वयं ने 6 से 8 रूपये प्रतिकिलो खरीद कर अपने ही खेतों में छिड़काव करने लगी।
खाद से पहली बार में ही एक लाख की आय
श्रीकृष्ण स्व सहायता समूह की निशा ने बताया खाद से 1 लाख रुपए नकद की आय समूह की हुई है। इस खाद का उपयोग फिलहाल समूह सदस्यों ने अपने खेतों में किया है। महिलाओं ने बताया इस प्रयोग से रासायनिक खाद के खर्च को काफी हद तक कम कर दिया है। अब यह सभी महिलाएं अपने परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य के प्रति ध्यान देते हुए जैविक खाद का उपयोग करने लगी हैं।

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