न स्वास्थ्य कर्मी न कोई बंदोबस्त
नियम के मुताबिक संक्रमित शव के साथ जिला अस्पताल का स्टॉफ जाता है। परिवार सदस्यों को भी विशेष किट दी जाती है, लेकिन यहां नियमों की अनदेखी की जा रही है। जानकारी के मुताबिक ३१ मार्च की सुबह करीब ४ शवों का दाह संस्कार हुआ। यह शव विशेष किट में बंद थे। संभवत: संक्रमित थे, लेकिन शवों का दाह संस्कार करने के लिए परिजन ही आए।
नियम के मुताबिक संक्रमित शव के साथ जिला अस्पताल का स्टॉफ जाता है। परिवार सदस्यों को भी विशेष किट दी जाती है, लेकिन यहां नियमों की अनदेखी की जा रही है। जानकारी के मुताबिक ३१ मार्च की सुबह करीब ४ शवों का दाह संस्कार हुआ। यह शव विशेष किट में बंद थे। संभवत: संक्रमित थे, लेकिन शवों का दाह संस्कार करने के लिए परिजन ही आए।
खुले में उड़ती रही किट, फूल मालाएं
गुरुवार रात को भी दो शवों का दाह संस्कार हुआ। शुक्रवार सुबह जब मुक्तिधाम के कर्मचारी पहुंचे तो वहां काले रंग की किट खुले में पड़ी मिली। शवों पर चढ़ाए गए फूल भी बिखरे थे। हालांकि बाद में सामग्री को कर्मचारियों ने ही जलाया।
गुरुवार रात को भी दो शवों का दाह संस्कार हुआ। शुक्रवार सुबह जब मुक्तिधाम के कर्मचारी पहुंचे तो वहां काले रंग की किट खुले में पड़ी मिली। शवों पर चढ़ाए गए फूल भी बिखरे थे। हालांकि बाद में सामग्री को कर्मचारियों ने ही जलाया।
अफसरों ने कहा- नियमों का हो रहा पालन
सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ डॉ. सुनील वर्मा का कहना है कि संक्रमित व्यक्ति की जहां मौत होती है वहीं संस्कार करते हैं। बॉडी को सेनेटाइज करते हैं, विशेष रूप से किट में बंद कर देते हैं। संक्रमित शव के साथ स्टॉफ मुक्तिधाम जाता है। परिजन को अंतिम क्रिया के लिए ले जाते हैं। उन्हें भी किट देते हैं। जिले में संक्रमित शवों के दाह संस्कार को लेकर नियमों का पालन किया जा रहा है। उधर, सीएमएचओ डॉ. एसके सरल का कहना है शव परिजनों को देने के बाद हमारा कर्मचारी नहीं जाता, परिजनों को समझा देंगे इस तरह की लापरवाही न करें।
सीएमएचओ कार्यालय में पदस्थ डॉ. सुनील वर्मा का कहना है कि संक्रमित व्यक्ति की जहां मौत होती है वहीं संस्कार करते हैं। बॉडी को सेनेटाइज करते हैं, विशेष रूप से किट में बंद कर देते हैं। संक्रमित शव के साथ स्टॉफ मुक्तिधाम जाता है। परिजन को अंतिम क्रिया के लिए ले जाते हैं। उन्हें भी किट देते हैं। जिले में संक्रमित शवों के दाह संस्कार को लेकर नियमों का पालन किया जा रहा है। उधर, सीएमएचओ डॉ. एसके सरल का कहना है शव परिजनों को देने के बाद हमारा कर्मचारी नहीं जाता, परिजनों को समझा देंगे इस तरह की लापरवाही न करें।
पत्रिका ने पहले भी उठाया था मुद्दा
३१ मार्च को भी इसी तरह मुक्तिधाम में संदेहास्पद चार शवों का अंतिम संस्कार हुआ था। इस लापरवाही को पत्रिका ने तब भी प्रमुखता से प्रकाशित कर अफसरों का ध्यान खींचा। अब दो दिन बाद ही लापरवाही की पूर्नावृत्ति हुई है।
३१ मार्च को भी इसी तरह मुक्तिधाम में संदेहास्पद चार शवों का अंतिम संस्कार हुआ था। इस लापरवाही को पत्रिका ने तब भी प्रमुखता से प्रकाशित कर अफसरों का ध्यान खींचा। अब दो दिन बाद ही लापरवाही की पूर्नावृत्ति हुई है।
अलग से होनी चाहिए व्यवस्था
मुक्तिधाम में शवों की इंट्री करने वाले लोकेंद्र सोलंकी ने कहा- संक्रमित मरीजों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था अलग होनी चाहिए। पूर्व में भी प्रशासन को अन्य जगह व्यवस्था करने की मांग की थी, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। यहां रोजाना सामान्य शवदाह भी होते हैं। लापरवाही भारी पड़ सकती है।
मुक्तिधाम में शवों की इंट्री करने वाले लोकेंद्र सोलंकी ने कहा- संक्रमित मरीजों के अंतिम संस्कार की व्यवस्था अलग होनी चाहिए। पूर्व में भी प्रशासन को अन्य जगह व्यवस्था करने की मांग की थी, लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। यहां रोजाना सामान्य शवदाह भी होते हैं। लापरवाही भारी पड़ सकती है।
परिजनों को देंगे समझाइश
-संक्रमित शव परिजनों को सौंपकर उन्हें समझाया जाता है कि सावधानी से अंतिम संस्कार करें। मुक्तिधाम में यदि किट खुले में फेंकते हैं तो नगरपालिका को देखना चाहिए। आगे से परिजनों को समझाइश देंगे कि किट को सावधानी से नष्ट करें। -डॉ. एसके सरल, सीएमएचओ, खरगोन
-संक्रमित शव परिजनों को सौंपकर उन्हें समझाया जाता है कि सावधानी से अंतिम संस्कार करें। मुक्तिधाम में यदि किट खुले में फेंकते हैं तो नगरपालिका को देखना चाहिए। आगे से परिजनों को समझाइश देंगे कि किट को सावधानी से नष्ट करें। -डॉ. एसके सरल, सीएमएचओ, खरगोन