बड़वाह वन मंडल को भंग कर खरगोन डीएफओ ऑफिस में मर्ज करने की तैयारी

जंगलों की सुरक्षा और वन्य प्राणियों की रक्षा के लिए बड़वाह वन मंडल बनाया था, 1984 में हुआ था गठन, मुख्यालय से अधिकारी करेंगे मॉनिटरिंग

<p>तहसील मुख्यालय स्थिति डीएफओ ऑफिस</p>
बड़वाह/ खरगोन.
निमाड़ के कुछ जिलों में लकड़ी माफिया सक्रिय होकर वनों के दुश्मन बन बैठे है। जिनके द्वारा पेड़ों की कटाई के साथ वन भूमि पर अतिक्रमण किया जा रहा है। खंडवा और बुरहानपुर जिले में ऐसे दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं। ऐसी विषम परिस्थिति में सरकार बड़वाह वन मंडल को खत्म कर खरगोन डीएफओ ऑफिस में मर्च करने जा रही है। इसके पीछे तर्क वित्तीय भार को कम करने का दिया जा रहा है। लेकिन सरकार का यह निर्णय गई लोगों के गले नहीं उतर रहा है। दरअसल, जिले की भागौलिक क्षेत्रफल की दृष्टि से वन परिक्षेत्र को दो भागों में विभाजित कर खरगोन और बड़वाह वन क्षेत्र बनाया गया है। 1984 में बड़वाह वन मंडल का गठन हुआ। इसके बाद से 35 सालों से यही व्यवस्था चली आ रही है। सूत्रों की मानें तो खरगोन डीएफओ रेंज में भगवानपुरा, झिरन्या, सेगांव और भीकनगांव तहसीलें शामिल हैं। जबकि बड़वाह क्षेत्र में काटकूट, सनावद, करही और मंडलेश्वर-महेश्वर क्षेत्र आता है। इस समय केवल बड़वाह क्षेत्र सुरक्षित है, जहां पेड़ोंं के साथ वन्य जीव बचे हैं। जबकि सतपुड़ा पहाड़ी क्षेत्र में पेटों की कटाई से जंगल के जंगल साफ हो गए।
71 हजार हेक्टेयर में फैलाव
बड़वाह डीएफओ सीएस चौहान के मुताबिक करीब 71 हजार हेक्टेयर में वनक्षेत्र फैला हैं। सागौन के पेड़ों की अच्छादित है। 32 प्रतिशत क्षेत्र में जंगल है और वन्य जीव है। 2017 में वन्य प्राणी गणना के अनुसार बड़वाह क्षेत्र में 17 तेंदुए सहित हिरण, सांभर, सियार, नीलगाय आदि वन्य जीव विचरण करते हैं। जिनकी रक्षा सहित वनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी वन अमले को सौंपी गई थी। बड़वाह वन मंडल में दो उप मंड, सात परिक्षेत्र, 20 सहायक परिक्षेत्र और 76 परिसर रक्षक कार्यरत है।
खरगोन से मॉनिटरिंग होगी, 90 किमी दूर बैठेंगे अधिकारी
शासन द्वारा बड़वाह डीएफओ ऑफिस को खरगोन शिप्ट करने के लिए प्रस्ताव बुलाया गया है। सूत्रों की मानें यह व्यवस्था वैसी होगी राजस्व, पुलिस, शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग जैसे विभागों के लिए हो रही है। इनके अधिकारी खरगोन में बैठकर मॉनिटरिंग कर रहे हैं। अधिकारी 90 किमी दूर बैठ कर काम करेंगे। अवैध कटाई, अतिक्रमण, शिकार की गतिविधियां बढ़ेगी और उससे पर्यावरणीय नुकसान होगा।
पत्र लिखेंगे…
शासन को पत्र लिखकर वन मंडल बड़वाह को तहसील मुख्यालय पर ही रखने की मांग करेंगे। क्षेत्र में पेड़ों की कटाई और वन्य जीवों की सुरक्षा होना चाहिए।
सचिन बिरला, विधायक बड़वाह

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