स्वास्थ्य मंत्री जी, इस गांव के स्वास्थ्य केंद्र में नहीं बिजली, मजबूरी ऐसी कि चिमनी की रोशनी में होता है प्रसव

ग्राम पंचायत कांदावानी के आश्रित गांव रुख्मीदादार में आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। यहां के उपस्वास्थ्य केंद्र में भी बिजली नहीं है जिसके कारण चिमनी और मोमबत्ती की रोशनी में प्रसव होता है।

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कवर्धा. जिले के पंडरिया ब्लाक के सुदूर वनांचल बैगा आदिवासी बाहुल्य गांव ग्राम पंचायत कांदावानी के आश्रित गांव रुख्मीदादार में आज तक बिजली नहीं पहुंच पाई है। यहां के उपस्वास्थ्य केंद्र में भी बिजली नहीं है जिसके कारण चिमनी और मोमबत्ती की रोशनी में प्रसव होता है।
चिमनी की रोशनी में कराया प्रसव
पंचायत के सबसे बड़ा गांव रुख्मीदादार है, बावजूद यहां के लोगों बिजली से वंचित है। दूसरी ओर उपस्वास्थ्य केंद्र में सौर ऊर्जा भी नहीं लगा है। इसके कारण यहां पर प्रसव तक चिमनी के उजााले में होता है। तत्कालीन कलेक्टर ने जिले के सभी उप स्वास्थ्य केंद्रों में सौर ऊर्जा पैनल लगाने की बात कही, लेकिन इस वनांचल में काम नहीं हो सका है। यहां पर आपातकालीन स्थिति में चिकित्सक को मोमबत्ती या चिमनी की रोशनी में प्रसव करना पड़ता है। इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के साथ जिला प्रशासन को भी है बाजवूद इस ओर प्रयास नहीं किया जा रहा है। शनिवार रात को रामबाई पति धन सिंग का प्रसव चिमनी की रोशनी में किया गया है।
सौर ऊर्जा भी फेल
रूख्मीदादर में बैगा आदिवासी समुदाय की संख्या लगभग 300 से ऊपर है। किसी के घर में रात को आधा से एक घण्टे तक सौर ऊर्जा की बल्ब जलता है फिर बन्द हो जाता है। इस पंचायत के बाकी गांवों में बिजली आ चुकी है। मुख्य परेशानी बरसात के दिनों में होती है जब कई दिनों तक बदली छाया रहता है। सौर प्लेट चार्ज नहीं हो पाते, जिसके कारण घर रोशन भी नहीं हो पाता। लोग जिला प्रशासन से बिजली लगाने की मांग करते-करते थक चुके हैं।
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