13 साल में नहीं बना 90 मीटर का एक पुल, नागरिक बोले शुक्र है समीप में अंग्रेजों के जमाने का है पुल

सिस्टम पर क्यों न उठे सवाल?
– सरकारी निर्माण में लेटलतीफी और भर्रेशाही का बड़ा उदाहरण बना शहर के बीच से गुजरने वाली कटनी नदी पर निर्माणाधीन पुल.

<p>कटनी नदी पर निर्माणाधीन पुल.</p>

कटनी. शहर के बीच से गुजरने वाली कटनी नदी पर एक पुल का निर्माण सरकारी मशीनरी के लिए बड़ी चुनौती बन गई है तो नागरिकों के लिए इस पुल को पूरा होते देखना अब किसी सपने से कम नहीं है। कटनी नदी में 90 मीटर लंबी एक पुल निर्माण की आधारशिला 2008 में रखी गई और बताया गया कि चार साल में उन्हे इस पुल की सौगात मिल जाएगी।

शहर के प्रमुख बाजार क्षेत्र से बसस्टेंड और आगे चाका बाईपास को जोडऩे वाली कटनी नदी पर एक पुल शहर के लिए किसी लाइफलाइन से कम नहीं है। नए पुल की आधारशिला रखे जाने के 13 साल में नहीं बनी तो नागरिक अब यही कह रहे हैं कि शुक्र है कटनी नदी पर निर्माणाधीन पुल के समीप ही अंग्रेजों के जमाने का एक पुल है।

ब्रिज कार्पोरेशन के एसडीओ प्रमोद गोटिया बताते हैं कि 45 मीटर के एक हिस्से में काम लगभग पूरा हो गया है। दूसरे हिस्से के 45 मीटर में काम शुरू करना है। बारिश बाद काम शुरू करने के लिए ठेकेदार को कहा गया है।

उम्मींद नहीं थी कि इतना समय लगेगा, अभी भी 8 माह से काम बंद-
कटनी नदी पर निर्माणाधीन पुल के समीप दोपहिया वाहन का गैरेज चलाने वाले मुन्ना मिस्त्री बताते हैं कि कटनी नदी पर नए पुल से उनके जैसे लाखों नागरिकों की जिंदगी जुड़ी है। ब्रिटिश जमाने का पुल जर्जर हो गया है और इसमें सिर्फ दोपहिया व छोटी चारपहिया वाहनों की आवाजाही होती है। ऐसे में शहर से किसी भारी वाहन को बसस्टैंड भी जाना हो तो 25 किलोमीटर से ज्यादा का चक्कर लगानी पड़ती है। नया पुल बन जाए तो छोटे कारोबारियों का पैसा ही बचेगा। यह अलग बात है कि समय पर इस पुल को बनाने में पूरी लापरवाही बरती जा रही है। मुन्ना बताते हैं अभी भी बीते 8 माह से काम बंद है।

ऐसे समझें मनमाने निर्माण की कहानी
– 2008 में प्रारंभ हुई पुल निर्माण की प्रक्रिया, 2011 में ठेकेदार राम सज्जन शुक्ला को जारी हुआ वर्कआर्डर।
– 2013 में ठेकेदार ने पुल बनाना शुरू किया। दो साल विलंब पर अधिकारियों ने मुआवजा व अन्य बातों को कारण बताया।
– 90 मीटर लंबी पुल के लिए फाउंडेशन बन जाने के बाद अधिकारियों ने कहा पुल का ड्राइंग डिजाइन उपयुक्त नहीं है और धनुषाकार बनाने से लेकर अन्य स्वरुप देने का प्रयास तेज हुआ।
– 2 साल से ज्यादा समय नई ड्राइंग तैयार में होने लगा। फिर निर्णय लिया गया कि 45-45 मीटर के दो हिस्से में पुल बनेगा।
– 2016 में नई ड्राइंग डिजाइन से पुल निर्माण का प्रपोजल भेजा गया, 2017 में पुल निर्माण का काम फिर शुरू हुआ।
– 24 जुलाई 2019 को ढलाई के कुछ दिन बाद ही एक हिस्सा धंसक गया। तत्कॉलीन लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के निर्देश पर सेतु निगम के चार अधिकारियों को निलंबित कर जांच बैठाई गई.
– 27 जुलाई 2019 को मुख्य अभियंता भोपाल एआर सिंह के नेतृत्व में जांच हुई। पाया गया तार खींचने में चूक हुई थी। इसके बाद डेमेज हिस्से को तोडऩे की प्रक्रिया चली।
– 30 जून की रात रायपुर से एक एजेंसी की मदद से पुल के धसके हिस्से को तोड़ा गया। एक काम 1 जुलाई की सुबह तक चला।
– खराब हिस्सा टूटने के बाद ठेकेदार को फिर से काम करने कहा गया और जून 2021 में काम पूरा करने की हिदायत दी गई।
– तय अवधि पूरा हो जाने के 3 माह बाद भी काम अधूरा है।

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