भ्रष्टाचार पर डाल दिया गया था पर्दा: आयोग का आयुक्त व लोक सूचना अधिकारी को दिए सख्त निर्देश…

नस्ती खोजने क्या हुआ प्रयास व दोषियों पर कार्रवाई, डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक बेशकीमती प्रसाधन की जमीन पर कब्जे का मामला, आठ साल से दबी कार्रवाई की फाइल, गोलमोल जवाब देने पर आयुक्त के सख्त निर्देश

<p>Commission gave strict instructions to commissioner</p>

कटनी. झंडाबाजार में नगर निगम द्वारा सार्वजनिक शौचालय निर्माण के लिए छोड़ी गई जमीन पर किए गए अतिक्रमण के मामले में जांच व दोषियों पर कार्रवाई के नाम पर नगर निगम के अफसर सिर्फ खानापूर्ति किए हैं। इस मामले को लोग अब आयोग सख्त हो गया है। आयोग ने नगर निगम आयुक्त व लोक सूचना अधिकारी को पत्र जारी कर कहा है कि शपथ पत्र में यह लिखकर प्रस्तुत करें कि क्या चाही गई जानकारी खोजने के बाद भी उपलब्ध नहीं है, एवं नस्ती खोजन के लिए क्या प्रयास हुए, आयुक्त नगर निगम विधिवत जांच उपरांत दोषियों के विरुद्ध समुचित कार्रवाई सुनिश्चित करें।
बता दें कि शहर में बेशकीमती जमीन पर कब्जा किया गया है। झंडाबाजार में नगर निगम द्वारा सार्वजनिक प्रसाधन निर्माण के लिए जमीन छोड़ी गई थी। यहां पर 1999-2000 के बीच नगर निगम के कुछ अधिकारियों ने वहां के व्यापारियों से मिलीभगत कर लगभग 125 वर्गफीट जमीन पर कब्जा कर दिया। जब मामला उछला तो नगर पालिक परिषद सम्मेलन में चर्चा हुई। दोषी अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ जांच कर कार्रवाई के लिए दस्तावेज लोकायुक्त को भेजने कहा गया। आयोग के जवाब तलब पर 27 अगस्त को कार्रवाई कराने की भी जानकारी भेजी गई। इस पर आयोग ने नामजद 154 के तहत एफआइआर कराकर जानकारी से अवगत कराने सख्त निर्देश दिए हैं, इसके बाद भी बेपरवाही हो रही है। बता दें कि इस मामले को 5 सितंबर को पत्रिका ने प्रमुखता से उजागर किया था।

इन्होंने किया है अतिक्रमण
बता दें कि झंडाबाजार में चार लोगों द्वारा करोड़ों रुपये कीमती जमीन में अतिक्रमण किया गया है। इसमें परमानंद वल्द सच्चानंद दुकान क्रमांक 104 से लगी भूमि पर 33 वर्गफीट में, अर्जुनदास वल्द ज्ञानचंद दुकान क्रमांक 105 54 वर्गफीट, ज्ञानचंद वल्द गोदाराम दुकान क्रमांक 95 से लगी भूमि में 27 वर्गफीट, नारायण वल्द सच्चानंद दुकान क्रमांक 95/1 से लगी हुई भूमि पर 27 वर्गफीट अतिक्रमण कर पक्का निर्माण कराते हुए वर्षों से कारोबार किया जा रहा है। 15 नवंबर 2013 को कार्रवाई के लिए नोटिस भी दिया गया है, औपचारिक रहा।

तीन दिन में मांगा जवाब, 10 दिन बाद भी भी नहीं मिला
बता दे इस गंभीर गड़बड़ी के मामले में आयुक्त द्वारा बाजार शाखा प्रभारी अनिल त्रिपाठी को 15 सितंबर को पत्र जारी करते हुए झंडा बाजार में सार्वजनिक शौचालय निर्माण के लिए छोड़ी गई भूमि का भौतिक सत्यापन करते हुए तीन दिवस के अंदर पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने कहा गया था, लेकिन 25 सितंबर तक प्रतिवेदन नहीं दिया गया। हर स्तर पर बेपरवाही जारी है। इस मामले को लेकर बाजार शाखा प्रभारी अनिल त्रिपाठी का कहना है कि अधिकारी-कर्मचारी वैक्सीनेशन में लगे हैं, इसलिए प्रतिवेदन नहीं जा पाया। दो-तीन दिन में प्रतिवेदन भेजने की कार्रवाई होगी।

इनका कहना है
इस गंभीर मामले की जांच कराई जा रही है। बाजार शाखा प्रभारी से पालन प्रतिवेदन तीन दिवस में मांगा गया था, अभी तक जवाब क्यों नहीं मिले इसे तत्काल दिखवाते हैं। आयोग के निर्देश संबंधी पत्र अभी नहीं मिला। मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
सत्येंद्र सिंह धाकरे, आयुक्त नगर निगम।

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