गुरुवार से शुरू स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की हड़ताल का असर अस्पतालों में देखने मिलने लगा है। उमरियापान अस्पताल में तो प्रसव जैसे कार्य भी स्थगित रहे। प्रसव के लिए यहां आईं महिलाओं को घरों में ही प्रसव कराना पड़ा।
गुरुवार को एक भी प्रसव के केस नहीं पहुंचे। इसका कारण रहा कि आशा कार्यकर्ता हडताल पर थी। हडताल की वजह से एक भी आशा कार्यकर्ता प्रसूतिकाओं को अस्पताल लेकर नहीं पहुंची और महिलाओं को घरों में ही प्रसव कराना पडा।
बता दें कि कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करने वाली आशा कार्यकर्ता, ऊषा और सहयोगी कार्यकर्ताएं प्रशासन से सम्मानजनक मानदेय और सुविधाओं की मांग कर रही हैं। वो शासन से इस मसले को लेकर काफी नाराज हैं।
संक्रमण काल में संसाधनों के अभाव में भी इन कार्यकर्ताओं ने अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों को जागरूक किया और गांव-गांव जाकर लोगों को कोरोना से बचने के लिए मास्क लगाने, हाथ धोने, शारीरिक दूरी बनाए रखने और सैनेटाइजर का उपयोग करने को जागरूक किया।
बावजूद इसके प्रशासन से इन आशा कार्यकर्ताओं को उचित मानदेय नहीं मिल पाया। ऐसे में वो गुरुवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गईँ। गुरुवार को सुबह कार्यकर्ताओं ने प्रशासन को उचित मानदेय देने के लिए बैनर लेकर सामुहिक रैली निकाली। इसमें आशा कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से जल्द-जल्द से सभी कार्यकर्ताओं को उचित मनदेय देने की मांग की।