MP का हेल्थ सिस्टम डांवाडोल, एक-एक कर स्वास्थ्यकर्मी जा रहे हड़ताल पर

-अब ये स्वास्थ्यकर्मी भी हड़ताल पर, ग्रामीण क्षेत्र की सेहत व्यवस्था प्रभावित-छह सूत्री मांग के समर्थन में हड़ताल-प्रदेश शासन पर वादाखिलाफी का आरोप

<p>आशा-उषा कार्यकर्ता हड़ताल पर</p>
कटनी. इस कोरोना काल में MP का हेल्थ सिस्टम डांवाडोल हो गया है। आलम यह कि एक-एक कर स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल पर जा रहे हैं। कभी जूनियर डॉक्टर, कभी नर्सेज तो अब आशा व उषा कार्यकर्ताओं ने भी हड़ताल का ऐलान कर दिया है। इसके चलते ग्रामीण क्षेत्र का सेहत सिस्टम तकरीबन कोलैप्स कर गया है।
जानकारी के अनुसार जिले के छः ब्लाक, बड़वारा, विजयराघवगढ़, कन्हवारा, रीठी, ढीमरखेड़ा, बहोरीबंद ब्लाक की आशा, उषा, सहयोगियों ने कटनी कलेक्टर को मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा है। इसमें स्वास्थ्य विभाग स्तर से उनसे करवाए जाने वाले कार्यों के लिए पूर्ण मानदेय की मांग की गई है।
आशा, उषा कार्यकर्ताओं की अन्य मांगें

-आशा उषा कार्यकर्ताओं व सहयोगिनियों को नियमित कर शासकीय सेवक का दर्जा देने
-प्रत्येक महीने आशा एवं उषा कार्यकर्ताओं को 18 हजार व सहयोगिनियों को 24000 मासिक वेतन देने
– शासकीय कार्य करने के दौरान किसी कार्यकर्ता के साथ कोई भी हादसा या दुखद घटना घटित होने पर परिजनों को 5 लाख रुपये बीमा राशि प्रदान करने
– आश्रितों को अनुकम्पा नियुक्ति देने
-एएनएम के रिक्त पदों पर आशा उषा व सहयोगिनियों को प्राथमिकता के साथ नियुक्ति
आशा, उषा, सहयोगिनियों ने कलेक्टर को सौंपे ज्ञापन में मुख्यमंत्री से अविलंब मांग पूरी करने की मांग की है। उनका कहना है कि आशा कार्यकर्ता, उषा कार्यकर्ता एवं आशा सहयोगिनी जननी सुरक्षा योजना के साथ स्वास्थ्य विभाग की समस्त योजनाओं में पूरी सक्रियता के साथ काम करती हैं। जान की परवाह किए बगैर स्वास्थ्य संबंधी कार्यों में अपनी सहभागिता प्रदान करती हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत आशा कार्यकर्ताओं व शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत उषा कार्यकर्ताओं की नियुक्ति स्थानीय निकायों ग्राम पंचायत व नगर पंचायत के मार्फ़त की गई थी। इन कार्यकर्ताओं की मानीटरिंग करने व सहयोग करने के लिए आशा सहयोगिनियों की नियुक्ति की गई है।
प्रदेश सरकार की अनदेखी व उदासीनता से आशा, उषा, सहयोगिनियों में शासन प्रशासन के खिलाफ भारी असंतोष व्याप्त है। इसका नतीजा है कि मध्य प्रदेश के आशा, ऊषा, सहयोगिनी अपनी छः सूत्रीय मांगों को लेकर काम बंद कर हड़ताल पर जाने को विवश हैं।
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