कोरोना ने इस गांव में युवाओं के सामने खड़ी कर दी विवाह की समस्या

(Karnal News ) करनाल जिले एक गांव मेें कोरोना नई तरह की समस्या खड़ी कर दी है। ग्रामीणों को अब यह डर सताने लगा है कि कहीं ऐसा ना हो गांव युवकों के लिए विवाह के (Corona created marriage problem ) रिश्ते ही नहीं आए। इस गांव में रिश्तेदारों ने तो वैसे (Relatives afraid ) भी आना कम कर दिया है। इसी वजह से ग्रामीणों को गांव के लड़कों के विवाह (Youth anxious about marriage ) की चिंता सताने लगी है।

<p>कोरोना ने इस गांव में युवाओं के सामने खड़ी कर दी विवाह की समस्या</p>

करनाल(हरियाणा): (Karnal News ) करनाल जिले एक गांव मेें कोरोना नई तरह की समस्या खड़ी कर दी है। ग्रामीणों को अब यह डर सताने लगा है कि कहीं ऐसा ना हो गांव युवकों के लिए विवाह के (Corona created marriage problem ) रिश्ते ही नहीं आए। इस गांव में रिश्तेदारों ने तो वैसे (Relatives afraid ) भी आना कम कर दिया है। इसी वजह से ग्रामीणों को गांव के लड़कों के विवाह (Youth anxious about marriage ) की चिंता सताने लगी है।

अंतिम संस्कार में जाने से कतरा रहे ग्रामीण
यह मामला है जिले के बलड़ी गांव का। दरअसल इस गांव के श्मशान घाट को कोरोना घाट बना दिया गया है। ऐसा किया है जिला प्रशासन ने। गांव के श्मशान घाट में जिले भर के कोरोना से कालकलवित हुए लोगों के शवों का दाह-संस्कार किया जा रहा है। शमशान घाट में कोरोना संक्रमितों के जिलेभर से इतने शव आ जाते हैं कि उनके परिजनों के शव को स्थान ही नहीं मिलता।

जिला प्रशासन ने बनाया कोरोना घाट
जिला प्रशासन ने इसे कोरोना शमशान घाट बना दिया। गांव में सामान्य तौर पर किसी परिजन की मृत्यु हो जाती है, उसके दाह संस्कार के लिए यहां स्थान ही नहीं मिल पाता है। लोगों को मालूम है कि यह शव कोरोना वाले शमशान में जाएगा तो लोग अर्थी को कंधा देने से भी कतराने लगे हैं। कोई मर जाए तो लोग उसके घर पर आने से भी बचने लगे हैं। उन्हें भय रहता है कि शमशान में आने से वह संक्रमित न हो जाएं।

गांव के युवाओं के विवाह की चिंता
जैसे तैसे स्थान मिले भी तो कोरोना संक्रमित शवों के बीच उन्हें बिना पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार करना होता है। यहां संक्रमण के भय के कारण अर्थी को कंधे देने वाले भी बचने लगे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यही स्थिति रही तो कुछ दिनों बाद शादी ब्याह के लिए युवाओं के रिश्ते तक आने बंद हो सकते हैं। बलड़ी गांव निवासी परम दयाल ने बताया कि यह उनके गांव का सार्वजनिक शमशान है।

रिश्तेदारों ने आना बंद किया

गांव के ही बलिंद्र और बलधीर ने बताया कि खास बात यह है कि अब गांव में नाते रिश्तेदारों का आना बेहद कम हो गया है। शादी ब्याह के रिश्ते लेकर भी लोग नहीं आ रहे हैं। इस गांव के लोग कोरोना शमशान में आते जाते रहते हैं, इसलिए यहां के ग्रामीणों के कोरोना संक्रमित होने की आशंका रहती है। इस समस्या से गांव के लोग काफी परेशान हैं।

एलपीजी गैस से दाह संस्कार से राहत
उनकी मांग है कि प्रशासन को चाहिए कि उसी शमशान के निकट काफी जगह शमशान की है, वहां की सफाई कराकर वैकल्पिक व्यवस्था कराई जा सकती है। इधर, नगम निगम प्रशासन द्वारा एलपीजी गैस से दाह संस्कार के लिए मशीन लगाने की खबर ने इस गांव के लोगों को राहत दी है। क्योंकि जब मशीन को अर्जुन शिवपुरी शमशान में लगाया जा रहा है। इसकी स्थापना का कार्य तेज कर दिया गया है। उम्मीद की जा रही है कि आगामी दो तीन दिनों में ही एलपीजी गैस से दाह संस्कार का कार्य शुरू हो जाएगा। इसके बाद तो कोरोना संक्रमितों के शव भी बलड़ी की बजाय शिवपुरी ही जाएंगे।

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