प्रसिद्ध कैलामाता मंदिर में हुई घट स्थापना, चैत्र नवरात्र में होंगे धार्मिक अनुष्ठान

करौली/कैलादेवी. राजराजेश्वरी कैलामाता के दरबार में नवसंवत्सर चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन मंगलवार को विधि विधान से घट स्थापना हुई।

<p>प्रसिद्ध कैलामाता मंदिर में हुई घट स्थापना, चैत्र नवरात्र में होंगे धार्मिक अनुष्ठान</p>
करौली/कैलादेवी. राजराजेश्वरी कैलामाता के दरबार में नवसंवत्सर चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन मंगलवार को विधि विधान से घट स्थापना हुई। पूरे चैत्र नवरात्र में माता के दरबार में धार्मिक अनुष्ठान होंगे। इस मौके पर पंडितों ने मंदिर मंत्रोच्चार के साथ घट स्थापना कराई। हालांकि पिछले वर्ष की तरह इस बार भी कोरोना महामारी के चलते श्रद्धालुओं को कैलामाता के दर्शन नहीं हो पा रहे हैं।
मंदिर में घट स्थापना के अवसर पर कैलादेवी मंदिर ट्रस्ट के सोल ट्रस्टी कृष्णचन्द्र पाल, उनके पुत्र विश्वस्त पाल ने कैलामाता की पूजा-अर्चना कराई। वहीं राजश्री प्रकाश जती के नेतृत्व में पंडितों ने घट स्थापना के तहत धार्मिक अनुष्ठान पूर्ण किए। कैलादेवी मंदिर ट्रस्ट के प्रबंधक महेशचन्द शर्मा ने बताया कि नवरात्र के दौरान पंडितों द्वारा देवी मां के धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे।
गौरतलब है कि उत्तरभारत प्रसिद्ध कैलादेवी के दरबार में प्रतिवर्ष नवसंवत्सर के मौके पर विभिन्न प्रदेशों के लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती रही है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते मंदिर ट्रस्ट प्रशासन को पिछले दिनों दर्शनार्थियों के लिए माता के दर्शन करने पड़े थे। 8 अप्रेल से माता का प्रसिद्ध चैत्र लक्खी मेला भी कोरोना वायरस के कारण जिला प्रशासन की ओर से निरस्त कर दिया गया था, जिसके बाद आठ अप्रेल से ही मंदिर प्रशासन ने दर्शन भी बंद कर दिए। गत वर्ष भी कोरोना के चलते मेला निरस्त होने के साथ करीब 6 माह तक माता के दर्शन श्रद्धालुओं के लिए बंद रहे थे। इधर करौली स्थित देवी मां के विभिन्न मंदिरों में भी घटस्थापना के साथ धार्मिक अनुष्ठान शुरू हुए हैं।
आस्थाधाम में छाया सूनापन
पहले मेला निरस्त होने और उसके बाद दर्शनार्थियों के लिए दर्शन बंद होने से आस्थाधाम कैलादेवी में सूनापन छाया है। इन दिनों में विभिन्न प्रदेशों के दूरदराज शहरों से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं से आस्थाधाम में चहुंओर चहल-पहल नजर आती थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण मेला निरस्त और दर्शन बंद होने से श्रद्धालुओं की आवक थम गई है। इसके चलते कस्बे की भोग-प्रसाद की सैंकड़ों दुकानें बंद हैं। दुकानों के बाहर पर्दे लगे हैं। इससे मंदिर मार्ग और मंदिर परिसर स्थित रैलिंगों में सन्नाटा पसरा है।
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