ठंड के कहर से ठिठुर रहा यूपी, कोहरे और धुंध की वजह से बढ़ रहे सांस के रोगी, कोरोना का खौफ भी बना रहा मनोरोगी

– ठंड बढ़ने से बढ़ रहे रोगी
– सांस लेने में परेशानी व सीने में दर्द के मरीजों में इजाफा
– हार्ट अटैक से भी हो रही मौत
– कोरोना वायरस का खतरा भी कर रहा परेशान
– कोविड का खौफ बना रहा मनोरोगी

<p>ठंड के कहर से ठिठुर रहा यूपी, कोहरे और धुंध की वजह से बढ़ रहे सांस के रोगी, कोरोना का खौफ भी बना रहा मनोरोगी</p>
कानपुर. कोविड-19 (Covid-19) का असर भले ही धीरे-धीरे कम हो रहा है लेकिन बदलते मौसम का असर लोगों की सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। आलम ये है कि लुढ़ते पारे से दिल और दिमाग की नसें सिकुड़ने लगी हैं। कार्डियोलॉजी की इमरजेंसी में करीब 25 फीसदी सांस फूलने और सीने में तेज दर्द के लक्षण के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। उधर, कोरोना का खौफ लोगों को मनोरोगी बना रहा है।
रविवार को कानपुर का न्यूनतम पारा लुढ़क कर 4.5 डिग्री सेल्सियस पर आ गिरा। शनिवार की तुलना में यह एक डिग्री कम रहा। रविवार को कार्डियोलॉजी पहुंचने से पहले हार्ट अटैक के तीन मरीजों की मौत हो गई। वहीं, कार्डियोलॉजी इमरजेंसी में हार्ट अटैक के 22 और मरीज भर्ती हुए। जबकि छह मरीजों को गंभीर हालत में हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) में भर्ती कराया गया। ब्रेन अटैक के 15 मरीज हैलट लाए गए। इनमें से तीन मरीजों के दिमाग की नसें फट गईं।
रोगियों की बढ़ी संख्या

ठंड बढ़ने से तरह-तरह की परेशानी या बीमारी से जूझ रहे मरीजों की संख्या अस्पतालों में बढ़ गई है। हैलट के न्यूरो साइंसेज विभाग के प्रमुख डॉ. मनीष सिंह के अनुसार, औसतन 15 ब्रेन अटैक के रोगी आ रहे हैं। इनमें दो तरह के रोगी हैं। एक थम्बोसिस (इसमें दिमाग की नसों में खून का थक्का जम जाता है) और दूसरे हेमरेजिक (इसमें दिमाग की नसें फट जाती हैं)। इनमें से कुछ दिनचर्या में बदलाव की वजह से बीमार हुए हैं। इसके अलावा सर्दी खांसी के रोगी भी सामान्य दिनों की तुलना में ज्यादा आ रहे हैं।
कोरोना के खौफ से भी बढ़ रहे मनोरोगी

बीमारियों के बढ़ने का एक प्रमुख कारण कोरोना वायरस का खौफ होना भी है। वैक्सीनेशन की तैयारियों के बीच कोरोना संक्रमण से बचाव की उम्मीद भले ही जगी है लेकिन लोगों में इस महामारी का खौफ अब भी जिंदा है। यही वजह है कि कानपुर में मनोरोग विभाग में अचानक से रोगियों की संख्या में तेज़ी से इजाफा हुआ है। लोगों को बार-बार हाथ धोने, हर चीज को सेनेटाइज करने की ज्यादा लत, जरूरत से ज्यादा इसको लेकर सोचने की वजह से काफी समस्याएं आ रही हैं। जिसको लेकर कानपुर मेडिकल कॉलेज में डॉक्टरों ने इसका अलग से इलाज करना शुरू कर दिया है।
रुटीन में बदलाव बना रहा मनोरोगी

कोरोना की वजह से लम्बे समय तक पाबंदियां, रूटीन में बदलाव और कारोबार में पड़ा असर लोगों को मनोरोगी बना रहा है। एक बार कोविड से ठीक हो चुके मरीजों में दोबारा कोरोना पॉजिटिव होने का खतरा बना हुआ है, जो कि उनके दिमाग पर नेगेटिव असर डाल रहा है। मरीजों की इस बढ़ती परेशानी से निजात दिलाने के लिए मनोरोग विभाग में लगातार डॉक्टर उनकी काउंसलिंग कर रहे हैं और उनका ट्रीटमेंट कर रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल आरबी कमल ने कहा कि इस बीच तेज़ी से मानसिक रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इन पिछले कई महीनों से कोरोना को लेकर लोग कुछ ज्यादा सोच रहे है। हर वक्त कोरोना को लेकर दिमाग में डर रहता है। जिसके चलते इस तरह की मानसिक बीमारी ज्यादा तेजी से बढ़ रही है। इसको ठीक करने के लिए मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में टीवी लगवाई गयी है, जिससे कि मरीजों का मन डायवर्ट हो और उन्हें अच्छा महसूस हो।
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