पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में उमाकांत ने बताया कि विकास के लिए इंसान की जान की कीमत नहीं थी। डर के कारण मजबूरी में लोग उसका साथ देते थे। उमाकांत ने बताया कि विकास के कहने पर उसने अपनी लाइसेंसी राइफल से पुलिस कर्मियों पर गालियां दागीं थीं। घटना के बाद विकास ने कहा था कि सब लोग अलग-अलग हो जाओ। इसलिए वह शहर दर शहर घूमता रहा। जब कोई रास्ता बचने का नहीं दिखा तो थाने में सरेंडर करने की योजना बनाई।
पांच सिपाहियों का शव जलाने में था प्लान देर रात हुई पूछताछ में उमाकांत ने पुलिस को ये भी बताया कि कैसे पांत सिपाहियों के शव को शौचालय में जलाने का प्लान था। उसने कहा कि पांच सिपाहियों के शव शौचालय में पहुंचाए गए थे। विकास दुबे ने इन्हें जलाने का पूरा इंतजाम किया था। उमाकांत का घर उस शौचालय के सामने है जहां पर पांच सिपाहियों के शव रखे गए थे। उसने पुलिस पूछताछ में बताया कि वह प्रवीन की छत पर बंदूक के साथ मौजूद था। सिपाहियों को खोज खोजकर मारा गया था। उसके बाद उनके शवों को घसीटकर शौचालय में एक के ऊपर एक रखा गया। जिसके बाद विकास दुबे ने मिट्टी के तेल का पीपा मंगा लिया था। वह सिपाहियों के शव को जला देना चाहता था। मगर कुछ साथियों ने उसे रोक लिया था।
मजबूरी में दिया साथ उमाकांत ने कहा कि उसे मजबूरी में विकास दुबे का साथ देना पड़ा था। वह विकास दुबे के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहता था। लेकिन एक वाक्ये ने उसकी जिंदगी की कायापलट ही कर दी और उसे मजबूरन विकास का साथ देना पड़ा। उमाकांत ने बताया कि बहुत साल पहले उसका झगड़ा अपने भाई से हुआ। वह पुलिस तक बात नहीं ले जाना चाहता था। उसके बाद विकास दुबे ने उसकी बेटी से चाचा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया था। जिसके बाद मजबूरन उसे विकास के संरक्षण में जाना पड़ा।
दूसरे भाई की भी तलाश पुलिस उमाकांत के भाई बब्बन की तलाशी में जुटी है। वह भी इस मामले में आरोपी है। बब्बन पर 50 हजार का इनाम है। उसके पास भी दो नाली लाइसेंसी बंदूक है।