बताया गया कि शुरुवाती दौर में इसे ग्राहकों के लिए स्वैच्छिक रखा गया है। लेकिन जानकारों का कहना है कि इस व्यवस्था को अनिवार्य भी किया जा सकता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत यदि 50 हजार या इससे अधिक का चेक बैंक में जमा किया गया है तो चेक लगाने वाले व्यक्ति से चेक की तारीख, भुगतान करने वाले व्यक्ति व धनराशि आदि की जानकारी दोबारा ली जाएगी। जब वहां से सहमति मिलेगी उसके बाद चेक को क्लीयर किया जाएगा। आरबीआई की ओर जारी निर्देश में यह कहा गया है कि रि-चेकिंग की व्यवस्था बैंक स्तर पर होगी। बैंक अपने स्तर पर संबंधित को एसएमएस या फिर मोबाइल ऐप के जरिये चेक की फोटो भेज सकेंगे। नेशनल कंफेडरेशन आफ बैंक इंप्लाइज के सचिव राजेंद्र अवस्थी ने बताया कि इस व्यवस्था से फ्रॉड रोकने में बड़ी सहायता मिलेगी।