निजी अस्पतालों की लापरवाही से हुई मरीजों की मौत

हालात बेकाबू होने पर निजी अस्पतालों ने किया रेफरटेमी फ्लू की जगह मरीजों को देते रहे दूसरी दवाएं

<p>निजी अस्पतालों की लापरवाही से हुई मरीजों की मौत</p>
कानपुर। शहर में स्वाइन फ्लू से होने वाली मौतों के पीछे निजी अस्पतालों की लापरवाही सामने आयी है। पता चला है कि स्वाइन फ्लू के मरीजों को दी जाने वाली दवा निजी अस्पतालों ने मरीजों को खिलाई ही नहीं। जिस कारण मरीजों की हालात बिगड़ती चली गई और हालात बेकाबू होने के बाद उन्हें हैलट रेफर कर दिया गया। समय से इलाज न मिल पाने के कारण उनकी मौत हो गई।
आठ रोगी आए थे रेफर होकर
संक्रामक रोग अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि स्वाइन फ्लू से मरने वाले १० रोगियों में ज्यादातर संख्या ऐसे मरीजों की है जो निजी अस्पतालों से रेफर होकर आए थे। निजी अस्पतालों से मरीजों को तभी रेफर किया जाता है जब उनकी हालत ज्यादा गंभीर हो जाती है। आईडीएच में मरने वाले आठ रोगी निजी अस्पतालों से आए थे। इन रोगियों के बारे में स्वास्थ्य विभाग को जानकारी नहीं दी गई।
नहीं खिलाई गई टेमी फ्लू
डॉक्टरों ने बताया कि निजी अस्पतालों में इस मामले में घोर लापवाही बरती। स्वाइन फ्लू के मरीजों को टेमी फ्लू दवा खिलाई जानी चाहिए। लेकिन निजी अस्पतालों ने टेमी फ्लू की जगह दूसरी दवाइयां खिलाते रहे। सीएमओ डॉ. अशोक शुक्ला ने बताया कि निजी अस्पतालों को स्वास्थ्य विभाग टेमी फ्लू मुहैया तो कराता है लेकिन वे मरीजों को नहीं देते। हेल्थ इंश्योरेंस के चक्कर में भी अस्पताल मरीजों को रोके रहते हैं।
एक जैसे होते शुरूआती लक्षण
विशेषज्ञों के मुताबिक फ्लू और स्वाइन फ्लू के शुरूआती लक्षण एक जैसे होते हैं। बाद में स्वाइन फ्लू के रोगियों की सांस की दिक्कत बढ़ जाती है और उनके हाथ-पैर नीले पडऩे लगते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि फ्लू के लक्षण होने पर सावधानी बरतनी चाहिए। अगर रोगी खांसे तो उसे मुंह पर रुमाल रखना चहिए। उसे घर के अन्य सदस्यों से अलग रखना चाहिए वरना संक्रमण फैल सकता है।
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