शस्त्र, लाइसेंस मामले में आईपीएस व पुलिस कर्मियों के खिलाफ होगी जांच, एसआईटी जांच में आया सामने

असलहे व लाइसेंस सत्यापन को लेकर भी हीलाहवाली की गई। एसआईटी की जांच में यह लापरवाही सामने आई है।

<p>शस्त्र, लाइसेंस मामले में आईपीएस व पुलिस कर्मियों के खिलाफ होगी जांच, एसआईटी जांच में आया सामने</p>
कानपुर-प्रदेश के बहुचर्चित बिकरू कांड में एक के बाद एक पुलिस व प्रशासनिक अफसर फंसते दिख रहे हैं। कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे सहित अपराधी साथियों के शस्त्र लाइसेंस के अतिरिक्त असलहे व लाइसेंस सत्यापन को लेकर भी हीलाहवाली की गई। एसआईटी की जांच में यह लापरवाही सामने आई है। बिकरू कांड की जांच में तत्कालीन डीआइजी अनंत देव समेत 11 अफसरों पर भी सवाल उठे हैं। एसआइटी ने शासन को तत्कालीन डीआइजी अनंत देव, एडीएम सिटी, एसपी ग्रामीण व एसपी देहात समेत 11 अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ प्रारंभिक जांच की संस्तुति की है। जल्द ही जांच अधिकारी नियुक्त होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
दरअसल लोकसभा चुनाव 2019 से पहले शासन ने शस्त्रों व लाइसेंसों का सघनता से सत्यापन करने के निर्देश दिए थे। कहा गया था कि शस्त्रों व लाइसेंसों का बारीकी से सत्यापन किया जाए। साथ ही अपराधी प्रवृत्ति के लोगों का लाइसेंस निरस्त किए जाएं। जिसके चलते कानपुर नगर में भी शस्त्र लाइसेंस सत्यापन अभियान शुरू किया गया। शपथपत्र भी मांगे गए और कई लाइसेंस निरस्त कराए गए थे। एसआइटी की जांच में सामने आया है कि तब भी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे व उसके अन्य साथियों के शस्त्र लाइसेंसों का सत्यापन आंखें बंद कर दिया गया, जबकि विकास व उसके गुर्गों के खिलाफ विभिन्न थानों में मुकदमे दर्ज थे। इसी लापरवाही के चलते लाइसेंसों का नवीनीकरण हो गया।
सूत्रों के मुताबिक एसआइटी ने सत्यापन में लापरवाही बरतने वालों में शामिल तत्कालीन डीआइजी अनंत देव, एडीएम सिटी विवेक श्रीवास्तव, एसीएम छह हरिश्चंद्र सिंह, रवि प्रकाश श्रीवास्तव, अभिषेक कुमार, एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह, एसपी क्राइम राजेश यादव, सीओ लाइन बीबीजीटीएस मूथ, प्रतिसार निरीक्षक द्वितीय जटाशंकर, हेड मोहर्रिर सतीश कुमार व चौबेपुर के थाना प्रभारी राकेश कुमार का नाम शामिल है। प्रशासनिक अफसरों की डीएम और पुलिस अधिकारियों की जांच डीआइजी करेंगे। आईजी मोहित अग्रवाल ने बताया कि शासन से पत्र मिला है। आइपीएस अनंत देव को दी गई चार्जशीट में शस्त्र लाइसेंस के सत्यापन में लापरवाही का भी जिक्र है, जिसकी जांच शासन करा रहा है। अन्य अफसरों की जांच के लिए जांच अधिकारी नियुक्त करने का आदेश डीआइजी को दिया है।
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