जोधपुर

राजस्थान के एकमात्र पैरा तैराक जगदीश ने विकलांगता को दी मात, एशियन गेम्स में देश के लिए मैडल लाना लक्ष्य

एशिया की पहली विकलांग तैराक टीम के हिस्सा रहे जगदीश इंग्लिश चैनल को पार कर चुके है। जगदीश जोधपुर में हुए पैरा स्पोट्र्स मीट में भाग लेने के लिए आए और विभिन्न स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीते।

जोधपुरMar 04, 2020 / 12:24 pm

Harshwardhan bhati

राजस्थान के एकमात्र पैरा तैराक जगदीश ने विकलांगता को दी मात, एशियन गेम्स में देश के लिए मैडल लाना लक्ष्य

अमित दवे/जोधपुर. विकट परिस्थितियां और शारीरिक अक्षमता कभी सफलता में बाधा नहीं बनती हैं। इसी को साकार किया है राजसमंद के पैरा तैराक जगदीश तेली ने। शारीरिक रूप से सामान्य रूप से नहीं चलने वाले जगदीश विश्वस्तरीय गोताखोर हैं। जिनके नाम कई राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय रिकॉर्ड है। एशिया की पहली विकलांग तैराक टीम के हिस्सा रहे जगदीश इंग्लिश चैनल को पार कर चुके है। जगदीश जोधपुर में हुए पैरा स्पोट्र्स मीट में भाग लेने के लिए आए और विभिन्न स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीते।
लिम्का व एशिया बुक में नाम दर्ज
इंग्लैण्ड से फ्रांस के बीच 36 किलोमीटर का जलमार्ग इंग्लिश चैनल को पार करने वाली रिले टीम में जगदीश रह चुके है। जिसमें राजस्थान से जगदीश एकमात्र तैराक थे जबकि अन्य तैराक महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व पं बंगाल से थे। जगदीश ने 24 जून 2018 को 12 घंटे 26 मिनट में इंग्लिश चैनल पार किया। इसी उपलब्धि के कारण इनका नाम लिम्का बुक, एशिया बुक व इंडिया बुक में दर्ज है।
5 वर्ष की उम्र में पोलिया हो गया
34 वर्षीय जगदीश 5 वर्ष की उम्र में पोलियो से ग्रस्त हो गए। घर वाले बीमारी को समझते, तब तक काफी देर हो गई और एक पैर खराब हो गया। इस वजह से यह पूरी तरह चलने-फिरने में असमर्थ हो गए। फिर भी हिम्मत नहीं हारी और वर्ष 2008 में तैरना शुरू हुआ। बीए में स्नातक कर चुके हैं।
77 से ज्यादा पदक
वर्ष 2008 में राज्य व राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे जगदीश अब तक 77 से ज्यादा पदक जीत चुके हैं। जगदीश नित्य दो-दो घंटे सुबह-शाम स्वीमिंग पूल में अभ्यास करते हैं। इनके पिता खेती करते हैं। तीन भाइयों में जगदीश सबसे बड़े हैं। इनके दो छोटे भाई पढ़ाई व प्राइवेट काम कर रहे है।
स्पॉंसर नहीं मिलने से पहली बार चूक गए इंग्लिश चैनल
जगदीश ने बताया कि वर्ष 2008-09 में इंग्लिश चैनल में जाने का मौका मिला। लेकिन इनके पास इंग्लैण्ड जाने के लिए रुपए नहीं थे। ऐसी स्थिति में स्पॉंसर भी नहीं मिले, इसलिए इंग्लैण्ड जाने से चूक गए। बाद में, विकलांग तैराक साथियों के साथ टीम बनाई और रुपयों का बंदोबस्त कर वर्ष 2018 में इंग्लैण्ड गए और रिले टीम ने इंग्लिश चैनल पार किया। इंग्लिश चैनल पार करने वाली यह एशिया की पहली टीम बनी।
एशियन गेम्स में देश के लिए मैडल लाना लक्ष्य
जगदीश ने बताया कि वर्ष 2022 में होने पैरा एशियन गेम्स में देश के लिए मैडल लाना उनका लक्ष्य है। फिलहाल वह इसी माह बैंगलुरु में होने वाले नेशनल गेम की तैयारी कर रहे है। इसके बाद अप्रेल में अमरीका में होने वाले इंटरनेशनल ओपन वल्र्ड चैम्पियनशिप में भाग लेने जाएंगे।

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